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मत्स्य माता: यहाँ मछली की हड्डियों को पूजा जाता है देवी रूप में

matsya mata temple

fisherman

करीब 300 सालों बाद आज भी ये मंदिर मछुआरों की श्रद्धा का केंद्र है. मछली पकड़ने जाते समय हर मछुआरा मत्स्य माता के मंदिर में आकर पूजा अर्चना ज़रूर करता है.

कहा जाता है कि जो इस मंदिर में पूजा अर्चना नहीं करता उसके साथ समुद्र में दुर्घटना होती है. नवरात्रि के समय अष्टमी में इस मंदिर में मत्स्य माता का विशाल मेला लगता है.

देखा आपने कैसा अनोखा है ये मंदिर. हमारे देश में भगवान् को किसी भी रूप में माना जाता है. शायद हम लोग इसीलिए कहते है कि प्राणिमात्र में भगवन है.

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