इस मंदिर के निर्माण के समय कुछ लोगों ने अड़चने भी पैदा की थी और मजाक भी उड़ाया था. मंदिर बनने के बाद गाँव में भयंकर बीमारी फैलने लगी. गाँव वालों ने इसे देवी का कोप माना. प्रभु नामके उस मछुआरे ने देवी से प्रार्थना की और क्षमा याचना की.
ऐसा करने के बाद चमत्कारिक धन से गाँव से महामारी दूर हो गयी और लोग फिर से स्वस्थ हो गए. इस चमत्कार के बाद मत्स्य माता की मान्यता बढ़ गयी .