प्रभु टन्देल ने ये भी बताया कि उसने सपने में देखा कि देवी माँ इस मछली के रूप में किनारे तक आई और अपने प्राण त्याग दिए. मछुआरे की बात को सुनकर बहुत से लोगों ने देवी माँ के मछली रूप का मंदिर बनाने का निर्माण किया.
मंदिर निर्माण के समय व्हेल के मृत शरीर को दफना दिया गया.जब मंदिर का निर्माण पूरा हुआ उसके बाद व्हेल की हड्डियों को मंदिर में मूर्ति की जगह स्थापित कर दिया गया.