बुर्का पहनना इस्लाम धर्म की महिलाओं के लिए बहुत ज़रूरी है.
बुर्का यानी हिजाब जिसे आप परदा कह सकते हैं, इसके बिना किसी महिला का घर से बाहर निकलना इस्लाम के खिलाफ माना जाता है. आज भी मुस्लिम देशों में महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य है, हालांकि कुछ देशों में वक्त का तकाज़ा समझकर बुर्के की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है. एक ऐसे ही देश के बारे में चलिए आपको बताते हैं.
लाताविया नामक देश में महिलाओं के सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने पर 2017 में ही रोक लग चुकी है. इससे संबंधित कानून को पिछले साल ही मंजूरी दी गई है. बैन के बावजूद इस देश में तीन महिलाएं बुर्का पहनने के लिए जानी जाती हैं. इस देश की आबादी करीब 20 लाख है और इसमें मुस्लिमों की तादाद करीब एक हजार से भी कम है. दरअसल, इस देश में बुर्का बैन करने का मकसद महिलाओं के हित को ध्यान में रखना नहीं था, बल्कि किसी और वजह से बुर्के पर बैन लगाया गया. माना जाता है कि लातावियाई संस्कृति की रक्षा और आतंकवादियों को कपड़े के अंदर हथियार छिपाकर ले जाने से रोकने के लिए बुर्के पर बैन लगाया गया, क्योंकि बुर्के की आड़ में कोई भी इंसान कुछ भी ले जा सकता है और बुर्का पहनी औरतों को पुलिस अधिकारी भी रोक नहीं पाते, क्योंकि उनका बुर्का हटाना महिलाओं की बेइज्ज़ती समझी जाती है.
ऐसे में आतंकवादी बुर्के का फायदा उठाकर हथियार या अन्य खातक सामान ले जा सकते हैं, इसी खतरे से बचने के लिए लाताविया सरकार ने बुर्के को ही बैन कर दिया, मगर बैन के बावजूद तीन महिलाएं बुर्का पहन रही हैं, लगता है इन्हें बुर्के से बहुत प्यार है. आपको बता दें कि फ्रांस में 2011 इसी तरह का कानून पास हुआ था. जिसके मुताबिक, सार्वजनिक स्थलों पर पूरा चेहरा ढंकने वाले नकाब लगाए जाने पर प्रतिबंध लगाया गया था.
आपको भले ही लग रहा हो कि बुर्के पर बैन लगाने से मुस्लिम महिलाओं खुश हुई होंगी क्योंकि उन्हें एक तरह से बंधन से आज़ादी मिली, मगर ऐसा नहीं है. बुर्के पर बैन के बाद महिला संगठनों ने पेरिस के राजनीतिक विज्ञान संस्थान में ‘नकाब दिवस’ मनाकर इस योजना का विरोध किया था. प्रदर्शनकारियों द्वारा बांटे गए नकाब पहनकर दर्जनों छात्राओं ने मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को उजागर किया था.
वैसे लाताविया के अलावा और भी कई देशों में बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कुछ इसी तरह की बाद हाल ही मेंसऊदी अरब में भी सुनने को मिला, हालांकि फिलहाल यहां बुर्के पर प्रतिबंध नहीं लगा है, मगर यहां की सबसे बड़ी मुस्लिम रिलीजियस बॉडी के मेंबर और सीनियर मौलवी ने कहा है कि देश की महिलाओं को अबाया या बुर्का नहीं पहनना चाहिए. बता दें कि हाल ही में सऊदी अरब में महिलाओं के प्रति कई उदारवादी फैसले किए हैं. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, काउंसिल ऑफ सीनियर स्कॉलर के मेंबर शेख अब्दुल्ला अल-मुत्लाक एक टीवी इंटरव्यू में कहा, “दुनिया की 90 फीसदी मुस्लिम महिलाएं धार्मिक होने के बावजूद अबाया (बुर्का) नहीं पहनती हैं. इसलिए हमें भी यहां भी किसी को इसे पहनने को मजबूर नहीं करना चाहिए.” शायद आपको पता नहीं होगा कि सऊदी अरब में महिलाओं पर दुनिया के सबसे कड़े कायदे लागू हैं. उन्हें यहां कानून के मुताबिक कपड़े पहनने की इजाजत है.
अगर वाकई धार्मिक गुरु की बात पर अमल करते हुए सरकार बुर्के की अनिवार्यता खत्म कर दे तो ये सऊदी अरब की मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत खुशी की बात होगी.