जहा आप नौकरी कर रहे हो, वहा आप के बॉस आपसे खुश है?
स्पर्धा के इस युग में यह मुद्दा महत्त्वपूर्ण है.
आज की तारीख में केवल हाय क्वालिफाइड होना कोई बड़ी बात नहीं. यहा तक कि आप ऑफिस में समयनिष्ठ हो या फिर बॉस को अच्छा काम करके दिखाते हो. यह सभी बातों का ख़ास मतलब अब नहीं रहा.
बॉस को इम्प्रेस करना हो तो आपको स्मार्ट बनना होगा, केवल होशीयारी से नौकरी नहीं बचाई जाती.
जो ५० से अधिक लोगों को हैंडल करता है उसे प्रभावित करना कोई साधारण बात नहीं.
इसलिए आपके लिए बॉस को खुश करने के ५ तरीके
१. सक्रिय रहो: सीखने के लिए तैयार रहो
जब आप किसी नए जगह पर कार्यरत होते है, तो सबसे पहले आपको सीखने का अप्रोच रखना होगा. क्योंकि आपको वहा काफी सारी बाते बॉस बताएगा और सिखाएगा. तब आप यह नहीं बोल सकते की मै यह काम नहीं कर सकता, या फिर नहीं किया है. सीखने का तरीका अपनाने से आप मौके पर चौका लगाना भी सीख लेंगे.
२. समाधान खोजे
जब काम को लेकर जो अपेक्षांए बॉस को आपसे है, वह सीखने के बाद आपको पता चलेगा की कहा कमियां है. जो काम आप कर रहे है उसे और कौन से तरीके से किया जाए, जिससे कंपनी का आऊटपुट बेहतर हो सकता है.
३. कंपनी का पैसा बचाओ और बढाओ
सभी कंपनीयों के मालीकों को अपने पैसे किस तरह बचाए जाए और व्यवसाय को विस्तारित करने की चाह रहती है. ऐसे में आप अपने बॉस को उनका वक़्त मांगकर कपंनी का पैसा किस तरह बचाया जा सकता है, उसका प्रजेंटेशन दे, जिससे आपके बॉस को आप पर कानफीडंस आएगा.
४. एक टीम के खिलाड़ी हो: स्वयंसेवी
जब आप अपने काम में निपुण हो जाए, उसके बाद आप अपने सहयोगी को उनके काम में थोड़ी थोड़ी मदत का हात बढाइये. अपने काम के अलावा आप दुसरे काम इस तरह सीख भी जायेंगे और दूसरों की मदत करके बॉस का दिल भी जीत सकेंगे. ऑफिस का माहोल भी एक दूसरे के सपोर्टिंग रहेगा, जिसकी वजह से काम और बेहतर होगा.
५. एक मार्ग दर्शक लीडर बने
वैसे तो कोई बॉस नहीं चाहेगा की उसके आलावा कोई अन्य ऑफिस में लीडर हो. लेकिन आपको अपने कामो में लीडर बनना है. कोई चीज़ कंपनी के लिए अच्छी हो वहा बताने की क्षमता आप में होनी चाहिए. कोई कंपनी कर्मचारियों के बगैर नहीं चल सकती ना अच्छे बॉस के नेतृत्व से. बॉस और कर्मचारी दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू है. यहा तक कि बॉस के सामने अपनी बात रखने की भी हिम्मत करे. इससे बॉस को यह तक समझ आएगा कि आपको असल में कंपनी कि भलाई सोचते हो. इस तरह बॉस आपसे होगा इम्प्रेस.
कुछ साल पहले भारत में नौकरियों में भीषण मंदी देखी गई थी. तब पढ़े लिखे बेकार नवजवानों को कोई रोजगार नहीं मिल रहा था. जो कर्मचारी पहले से ही कार्यरत थे, उनको भी कास्ट कटिग के बहाने अपनी जॉब से हाथ धोना पड़ा था.
जॉब छूटे जिन व्यक्तियों के डेझीगनेशन छोटे थे उनको कही ना कही पर्याय मिल जाता. किंतु जो बड़े ओहदे पर थे उनकी समस्या चिंता जनक हो गई थी.
आज की स्थिति में जॉब में मंदी तो नहीं है. लेकिन सारे जगहों पर भर्ती बेहद सोच समझ कर चल रही है.
ऐसे में मिली हुई जॉब को बचाना भी एक काम है, वैसे एक कहावत है, “हाथ कंगन को आरशी क्या, पढ़े लिखे को फारशी क्या”.
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