ईश्वर के दर्शन – आज से कई साल पहले हम सभी भगवन के दर्शन हेतु ना जाने कितनी लंबी-लंबी लाईनो में लगे रहते थे और दर्शन पाए बिना घर नहीं जाते थे.
वैष्णो देवी की 14 कि.मी की चढाई नंगे पैर करते थे और अमरनाथ की जान लेने वाली ठंड में भी इतनी उचाई पर जाने से नहीं घबराते थे सिर्फ भगवन के दर्शन पाने के लिए.
वैसे तो आज के समय में भी हर कोई भगवान के दर्शन करना चाहता है, लेकिन आज की इस युवा पीढी को हर चीज में जल्दी रहती है जिसकी वजह से आज हम आपके लिए एक ऐसा उपाय लाए हैं जिसकी मदद से आपको घंटो लाइन में या किसी उचाई भरी पहाडी की चढाई करने की जरूरत नहीं पडेगी, आप सीधा घर बैठे भगवान के दर्शन कर सकेंगे.
तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे करें जल्दी से जल्दी ईश्वर के दर्शन –
ईश्वर के दर्शन –
श्री श्री आन्नदमूर्ति के प्रभात संगीत और उनके आध्यात्मिक दर्शन के बीच अटूट संबंध है. उनका दर्शन वेदांत और वैष्णव दर्शन के नजदीक होने के कारण भारतीय भक्ति तत्व परंपरा से मिलता-जुलता है. अगर आपको आसान भाषा में समझाए तो उनकी काव्य रचना जीवात्मा को परमात्मा से मिलवाती है और भौतिकता का आध्यात्मिकता के साथ और मानवता का दिव्य पुरुष के साथ संबंध स्थापित कराती है.
मनुष्य का असली मकसद है ईश्वर को पाना, इस बात का वर्णन भगवत गीता से लेकर हमारी भूमि तक करती हैं. भारतीय भक्ति काव्य रचना नि:स्वार्थ प्रेम और समर्पण पर टिकी हुई है.
क्या आपने या हमने कभी ये सोचा था की बिना मनुष्य के पर्यावरण संतुलित रह सकता है या उसका हमारे बिना विकास हो सकता है? यह उत्कृष्ट विचार हम उन महान दार्शनिक कवि की अनूठी काव्य रचना ‘नव्य-मानवतावाद’में पाते हैं. इनके दर्शन में समंवयवाद यानी संश्लेषण भी जुडा है. सभी जीवो के अंदर ईश्वर है.
तो दोस्तो अगर आप घर बैठे ईश्वर के दर्शन करना चाहते हैं या उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इन काव्य व गान को सुनकर आप सीधे भगवन से जुड सकते हैं. यह दैव्य भक्ति आपको सीधा भगवान, परमात्मा से जोड देंगी क्योंकि इन्हे सुनकर जो मन को सुकून और शांति मिलती है वह आपको शायद बहार किसी मंदिर में भी ना मिले. भगवान हर किसी भी बसते हैं केवल हमे जरूरत है तो उन्हे पहचानने और जानने की, इन काव्यो में ये तक वर्णन है की अगर कोई व्यक्ति खुद को जान ले तो वह समझो परमात्मा को मोक्ष हो गया.
तो अब अगर आप के पास समय नहीं है या आप किसी कारण भगवान के घर यानी मंदिर या किसी भी धार्मिक स्थल पर नहीं जा सकते हैं तो इस काव्य ‘नव्य-मानवतावाद’ को जरूर पढे. आपके मन को व शरीर दोनो को ही परमात्मा के आपके पास होने का एहसास होगा. तो ये आसान तरीका ना कभी भालिएगा और दूसरो को भी इस के बारे में अवश्य बताएगा.
अब तो आप समझ ही गए होंगे की ईश्वर को ढूंढने आपको किसी धार्मिक स्थल पर जाने की जरूरत नहीं है आप ईश्वर के दर्शन कही भी कभी भी कर सकते हैं.
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