विज्ञान और टेक्नोलॉजी

वॉजेयर-1 था सौरमंडल से जाने वाला पहले यान !

वॉयेजर-1 – आपको सबसे पहले चांद पर पहुंचने वाले इंसान का नाम मालूम होगा। नील आर्मस्ट्रॉन्ग। सबसे पहले अंतरिक्ष में भी जाने वाले इंसान का नाम मालूम होगा। यूरी गागरिन। मंगल ग्रह पर उतरने वाले पहले अंतरिक्ष यान का नाम भी मालूम होगा। वाइकिंग-1।

लेकिन, क्या आपको यह मालूम है कि सौरमंडल से बाहर जाने वाला पहला यान कौन सा था? फिर से इस सवाल को एक बार पढ़िये। सौरमंडल से बाहर जाने वाला यान…

सौरमंडल

हमारा ग्रह पृथ्वी, एक सौरमंडल का हिस्सा है। अब तक जितने भी अंतरिक्ष यान, अंतरिक्ष में गए हैं वे सौरमंडल में ही रहते हैं। लेकिन इंसान के चांद और मंगल पर पहुंचने के बाद सौरमंडल के बाहर की दुनिया के बारे में भी जानना था। इसलिए वह कई सालों से इस मिशन को सफल बनाने के लिए एक यान बनाना चाहता था।

6 साल पहले सफल हुआ था यह मिशन

यह मिशन 6 साल पहले सफल हो चुका है। नासा ने 6 साल पहले सौरमंडल के बाहर अपना यान ‘वॉयेजर-1’ भेजा था। 25 अगस्त 2012 को हमारे सौरमंडल से बाहर जाने वाला यह पहला यान बन गया था। जिसके कारण यह सौरमंडल से बाहर निकलकर इंटरस्टेलर स्पेस में जाने वाला पहला मानव निर्मित यान बन गया था।

यह यान 5 सितंबर 1977 को लॉन्च हुआ था और अब भी यह सक्रिय है और अंतरिक्ष से पृथ्वी पर डेटा भेज रहा है। यह यान अपनी गड़बड़ियों का खुद पता लगाने और उन्हें ठीक करने में सक्षम है।

नासा के वैज्ञानिकों ने की पुष्टि

‘वॉयेजर-1’ के इंटरस्टेलर स्पेस में पहुंचने की पुष्टि इस बार खुद नासा के वैज्ञानिकों ने की है। इससे पहले ‘वॉयेजर-1’, इंटरस्टेलर स्पेस में जाने के कई फॉल्स अलार्म दिए थे। लेकिन इस बार वैज्ञानिक कॉन्फीडेंट हैं कि ‘वॉयेजर-1’, इंटरस्टेलर स्पेस में जा चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार वॉयेजर-1 के आसपास के प्लाज़मा में काफी बदलाव आ गए हैं। इसलिए इस बार वैज्ञानिक काफी कॉन्फीडेंट हैं।
आसान शब्दों में कहें तो वॉयेजर-1 सूर्य के चारों ओर बने हॉट प्लाज्मा बबल से बाहर निकल गया है। हॉट प्लाज्मा बबल हमारे सौर मंडल और उसके काफी बाहर तक फैला हुआ गर्म गैसों का गोला सा है। इससे बाहर निकलने के बाद वॉयजर वन का हमारे सूर्य और सौर मंडल से कोई संबंध नहीं रह गया है।

इंटरस्टेलर स्पेस

एक आकाशगंगा के अंतर तारों के समूह के बीच के अंतरिक्ष के क्षेत्र को इंटरस्टेलर स्पेस कहते हैं। इस जगह पर घनत्व आमतौर पर नगण्य होता है। लेकिन यहां कॉस्मिक रेज़, गैस बादल, धूल, आदि हो सकते हैं। इस पर ‘इंटरस्टेलार’ नाम से एक हॉलीवुड मूवी भी बन चुकी है जो इस जगह के बारे में विस्तार से बताती है।

अनंत की यात्रा पर गया वॉयेजर-1

वॉयेजर-1 अब अनंत की यात्रा पर जा चुका है। यान अब सौरमंडल से इतना दूर जा चुका है कि वहां से पृथ्वी तक रेडियो सिग्नल आने में 17 घंटे लगते हैं। वॉयजर अभियान के मुखिया वैज्ञानिक प्रोफेसर एड स्टोन कहते हैं, “हम वहां पहुंच गए हैं, सौर सागर और तारों के बीच यात्रा कर रहे हैं। यह वाकई में एक मील का पत्थर है। जब 40 साल पहले हमने ये प्रोजेक्ट शुरू किया था, तो हमें उम्मीद थी कि यह यान एक दिन गहरे अंतरिक्ष में पहुंचेगा। यह विज्ञान और इतिहास की नजर से भी एक बड़ा मील का पत्थर है।”

Tripti Verma

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Tripti Verma

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