जब भी हड्डियों को मजबूत बनाने की बात हो तो सबसे पहले कैल्सियम सप्लीमेंट लेने की बात की जाती है, साथ ही विटामिन डी की कमी को दूर करना आवश्यक हो जाता हैं.
मेट्रो सिटीज़ में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां एसी ना हो ऐसे दिनभर बंद कमरे में काम करते हुए इंसान तक धूप तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है ऐसे विटामिन डी जो कि हमें प्रमुख रुप से धूप से मिलता है कि मात्रा हमारे शरीर में तेजी से कम होने लगती है नतीजन हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं ऐसे में नेचुरल सनलाईट के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट लेना बेहद जरुरी हो जाता हैं.
लेकिन क्या आप जानते है कि एक ओर जहां आप हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जो विटामिन डी सप्लीमेंट लेते है वो आपकी किडनियों को कमजोर कर सकते हैं.
जी हां मतलब आपको इसके अत्याधिक सेवन से लेने के देने पड़ सकते हैं.
सबसे पहले जानते है विटामिन डी और उसके मुख्य स्त्रोतों के बारें में–
क्या है विटामिन डी–
विटामिन-डी वसा में घुलनशील प्रो-हार्मोन्स का एक समूह होता है. यह एक स्टेरॉइड विटामिन है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखता है और हड्डियों में पहुंचता है. शरीर में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है. इसके अलावा शरीर में रसायन कोलिकल कैसिरॉल पाया जाता है, जो खाने के साथ मिलकर विटामिन-डी बनाता है.
विटामिन डी के प्रमुख स्त्रोत
1. मछली को विटामिन डी का मेन सोर्स माना जाता है. जिन लोगो को नॉनवेज फूड खाने में कोई परेशानी नहीं होती है उनके लिए फिश विटामिन डी का सबसे बेहतरीन सोर्स है. वजह है काफी उच्च मात्रा में फैटी एसिड्स का होना जैसे सामन, टूयना ,हिलसा, सार्डिन, कड, मैकरल आदि.
2. ना सिर्फ दूध बल्की इससे बने पदार्थ जैसे पनीर और दही भी विटामिन डी के प्रमुख सोर्स है.
3. अंडे की जर्दी में भी विटामिन डी का मेन सोर्स होता है.
फायदों के साथ नुकासान भी पहुंचाता है विटामिन डी- ताजा शोधों की माने तो विटामिन डी की अधिकता को विटामिन टॉक्सिटी भी कहा जा सकता हैं. जब आप विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स लेते है सतो इसकी अधिकता से हाईपरविटामिनोसिस जैसी स्थिती का सामना करना पड़ सकता . वैसे हड्डियों को मजबूत बनाने में विटामिन डी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन आपकी किडनियों को कमजोर कर सकता है साथ ही आपको स्ट्रोक जैसी सिचुएशन का सामना भी करना पड़ सकता है.
किडनियों को डैमेज करने के अलावा भूख की कमी, वीकनेस, कॉन्सिटीपेशन जैसे लक्षणों का सामना भी कर पड़ सकता हैं.
कैसे बचे खतरनाक स्थिती से–
1. बिना अपने डॉक्टर की सलाह के विटामिन या फिर मिनरल सप्लीमेंट ना लें.
2. जितना अमाउंट प्रीस्क्रिप्शन में लिखा है उतना ही ले ध्यान रखे कि डोज़ ना ज्यादा हो ना ही कम.
3. जो चम्मच आपको दवाई के साथ दिया गया है या फिर जिसमें मेज़रमेंट यानि बराबर मात्रा में डोज़ लेने की बात लिखी हैं .सामान्य स्पून जो कि रोजाना उपयोग के लिए होता हैं. उसका उपयोग ना करें.
4. सही मात्रा जानने के लिए आप फार्मासिस्ट की मदद भी ले सकते है.
5. आप ब्लड टेस्ट और एक्स रे के जरिए ये पता लगा सकते हैं कि आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा जरुरत से ज्यादा तो नहीं है.
अगर आपने विटामिन डी सप्लीमेंट का कोई डोज़ मिस कर दिया हो तो अगले डोज़ के ठीक कुछ समय पहले डोज़ ना ले. मिस किए गए डोज़ की कमी पूरी करने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में दवा ना ले लें.