ENG | HINDI

अंग्रेजों के लिए काल थी ये वीरांगना, थर थर कांपते थे फिरंगी

वीरांगना दुर्गा भाभी

वीरांगना दुर्गा भाभी – हम सभी ने अपने देश के कई महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कई कहानीया सुनी हैं कि किस तरह उन्होंने हमारे देश को मर मिट कर आजादी दिलाने की जंग लड़ी थी.

इस बात से तो लगभग सभी वाकिफ हैं की अंग्रेजों ने भारत को कई दफा लुटा और हम पर अत्याचार भी ढाए. हम अपने ही देश में गुलामों की तरह रहने को मजबूर थे.

भारतीय गुलामों से अंग्रेज कडी़ धूप में नंगे बदन काम कराया करते थे जिसके बाद उन्हें खाने को भी ढंग से नहीं मिलता था. ऐसे में जब स्वतंत्रता सेनानी सामने आते और उन्हें अंग्रेजी सिपाहियों द्वारा पकडा जाता तो बाद में उनके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया जाता था.

वे एक ऐसा दौर था जब अंग्रेज अपने मन की किया करते थे

कई स्वतंत्रता सेनानियों में कई वीर भी हुए लेकिन आज हम आपको जिनके बारे में बताने जा रहे हैं वह कोई वीर नहीं बल्कि एक वीरांगना हैं. जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. इस वीरांगना को देखकर अंग्रेज भी हैरान थे.

तो आइए जानते हैं वीरांगना दुर्गा भाभी के बारे में –

वीरांगना दुर्गा भाभी

भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, भगवती चरण वोहरा जैसे ना जाने कितने महान सेनानियों ने देश के खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी थी. इन सभी के साथ कदम से कदम मिलाकर चली थी दुर्गा भाभी जो की एक बहुत बड़ी वीरांगना थी.

क्रांतिकारियों में उनके नाम की अंग्रेजों में दहशत थी. वीरांगना दुर्गा भाभी का अवतार मानी जाती थी ये वीरांगना, अंग्रेजों के लिए माँ दुर्गा का दूसरा अवतार थी वीरांगना दुर्गा भाभी. इनके पति को क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन का मास्टर माइंड माना जाता है वही वीरांगना दुर्गा भाभी को बैकबॉन यानी रीढ़ की हड्डी कहा जाता था.

वीरांगना दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गा देवी वोहरा है.

ये वीरांगना अंग्रेजों के दिमाग में हमेशा खटकती थी. आपने कई बार भगत सिंह के साथ वोहरा का नाम जुड़ते हुए सुना होगा, भगवती सिंह वोहरा कट्टे और हथियार के साथ बम बनाने में माहिर थे, जिनके जरिए कई बार अंग्रेजों को मारा गया था.

वीरांगना दुर्गा भाभी

भगवती सिंह वोहरा तक ने अपनी पत्नी के साथ अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. इनको पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने कई रणनीतिया भी बनाई थी. बता दे की दुर्गा के पति बन बनाते हुए शहीद हो गए थे. जिसके बाद भी दुर्गा ने डरकर हार नहीं मानी बल्कि क्रांतिकारियों को राजस्थान से हथियार लाकर दिए और खुद भी अंग्रेजों के लिए काम बनी. बडते क्रांतिकारियों के साहस के कारण अंग्रेजों की शाखाएँ अब डगमगा ने लगी थी.

गवर्नर तक से नहीं डरी थी विरांगना दुर्गा

9 अक्तूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गर्वरनरहैली पर भी हमला करने का साहस दिखाया था. उन्होंने गवर्नरहैली और उनके साथियों पर अंधा-धुन गोलियां बरसाई. दुर्गा भाभी की इन गोलियों का शिकार बंबई के पुलिस कमिश्नर से लेकर सैनिक अधिकारी टेलर तक हुए.

इस घटना ने दुर्गा भाभी के नाम से अंग्रेजों में दहशत फैला दी थी. वीरांगना दुर्गा भाभी – दुर्गा देवी वोहरा के स्वर्णिम इतिहास में ये वीरांगनाओ के रूप में हमेशा याद रखी जाएंगी और स्वर्ण अक्षरों में भी उनका नाम भारत को आजादी दिलाने वाले क्रांतिकारियों के बीच शान से लिखा गया है.