विजय माल्या ! भारत का एक ऐसा व्यापारी जिसे उसकी अय्यासी ले डूबी।
अरबों की संपत्ति का मालिक रातो रात देश छोड़कर भाग गया और सरकार कुछ न कर सकी। विदेशों से कालाधन देश में लाने का दावा करने वाली सरकार के नाक के नीचे से करोड़ों रुपये देश का लेकर माल्या फरार हो गया।
विजय माल्या सरकार पर एक ऐसा तमाचा है जो खुद उनके ही लोगों के कारण पड़ा। सरकार चाहती तो माल्या देश छोड़ कर भाग ही नहीं सकती थी लेकिन कुछ लोगों की मिली भगत से वह देश छोड़ने में कामयाब हो गया।
सरकार चाहे तो अब भी विजय माल्या को भारतीय जेल के सलाखों के पीछे ला सकती है लेकिन इसके लिए सरकार को एक दृढ़ इच्छाशक्ति की जरुरत हैं। जबतक सरकार खुद नहीं चाहेगी कि माल्या सलाखों के पीछे हो तबतक माल्या ऐसे ही विदेश में गिरफ्तार होता रहेगा और पलभर में आजाद भी।
माल्य ब्रिटेन में ऐश की जिंदगी जी रहा है और सरकार यहां आराम से उसके आने की राह देख रही है। दरअसल सरकार के एक कदम से माल्य भारतीय सलाखों के पीछे पहुंच सकता है। साल 1993 में ब्रिटेन और भारत में एक समझौता हुआ जिसके तहत किसी भी मुजरिम को भारत लाने से पहले भारत को ब्रिटेन की अदालत में साबित करना होगा कि वह अपराधी है।
सरकार अगर माल्या को वहां की अदालत में सिद्ध कर दे कि वो मनी लांड्रिंग का अपराधी है तो ब्रिटेन उसे भारत को सौंप देगा लेकिन भारत उसे अपराधी साबित करने में समय लगा रहा है।
जब ईडी सरकार के आग्रह करे तब भारत सरकार नियम के तहत भगौड़े अपराधी के प्रत्यारोपन के लिए दूसरे देश से आग्रह करती है। साथ ही सरकार के पास आरोपी के खिलाफ पूरे सबूत होने चाहिए जो उसे अपराधी साबित करता हो।
ब्रिटेन में माल्य को दूसरी बार गिरफ्तार किया गया लेकिन उसे जमानत दे दी गई।
भारत के पास प्रयाप्त सबूत हैं इसके बावजूद इतना समय लगना कई सवाल खड़े करता है। सरकार की लापरवाही के कारण ही माल्या आज ब्रिटेन में आजाद घूम रहा है नहीं तो आज वह सलाखों के पीछे होता।