आभास कुमार गांगुली के करोड़ों चाहने वाले है और कोई बड़ी बात नहीं की आप भी उनके बहुत बड़े फैन हो.
क्या कहा आपने नाम भी नहीं सुना आभास कुमार गांगुली का,तो फैन कैसे होंगे?
चलिए आपको उनके कुछ यादगार नगमे बताते है जो सुनकर आपको समझ आ जायेगा कि आप और मैं ही नहीं पूरी दुनिया है इनकी फैन.
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू आई रुत मस्तानी कब आएगी तू ….
दिलबर मेरे कब तक मुझे ऐसे ही तड़पाओगे..
मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा..
हमें तुम से प्यार कितना ये हम नहीं जानते मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना….
अरे अरे नाराज़ मत होइए साहब आभास कुमार गांगुली हम सब के चहेते गायक किशोर कुमार का ही असली नाम है.
चलिए आज किशोर कुमार की 86वीं सालगिरह पर आपको बताते और दिखाते है उनके कुछ किस्से कहानियां.
किशोर कुमार का जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा में एक बंगाली परिवार में हुआ था, उनके बड़े भाई सुप्रसिद्ध कलाकार अशोक कुमार थे. ये सब बातें तो सब ही जानते है.
चलिए बाकि अनोखी बातें उनके गाने सुनते सुनते की जाए तो कैसा रहेगा?
किशोर दा 40 और 50 के दशक में गंभीर फ़िल्में किया करते थे, एक अभिनेता के तौर पर. उस ज़माने में उनके बड़े भाई अशोक शिखर सितारा थे.
किशोर कुमार अपने समय के महानतम गायक के एल सहगल के बहुत बड़े फैन थे.
आगे बढ़ने से पहले ज़रा गुनगुनाते है ये गाना
हाँ तो बात हो रही थी किशोर कुमार की, लम्बे समय तक किशोर सिर्फ अभिनय ही करते रहे फिर एक बार मस्ती मस्ती में ही जब किशोर कुमार ने अपने बड़े भाई का गाना गया तो अशोक को किशोर की प्रतिभा का पता चला.
60 के दशक में किशोर अब गंभीर फिल्मे छोड़ हंसी मजाक मस्ती वाली फिल्मे करने लगे थे, साथ ही साथ वो अपनी फिल्म में गीत भी गाने लगे थे. अब अभिनेता किशोर पर गायक किशोर कुमार भारी पड़ने लगा था.
आगे चलने से पहले किशोर कुमार की आवाज़ में ये एक बहुत ही खूबसूरत नगमा
बातों के सफर को आगे बढ़ाते है और चलते है किशोर कुमार एस डी बर्मन और देव साहब के युग की तरफ.
किशोर कुमार अब अभिनय से दूर हो रहे थे और एक गायक के रूप में छा रहे थे. संगीत उनका पहला प्यार था और किशोर बर्मन और देव साहब की तिकड़ी ने संगीत की दुनिया में जादू जगा दिया. ये हिंदी फिल्मों के संगीत इतिहास का स्वर्णिम दौर था. रफ़ी साब, तलत महमूद, किशोर, लता और मुकेश जैसे गायक एक साथ अपने सुरों का जादू बिखेर रहे थे.
देव साब के साथ रफ़ी ने भी कालजयी गाने दिए और किशोर दा ने भी. ज़रा देखिये इस गाने को कितने कम संगीत के साथ किशोर कुमार ने कैसे मिठास घोली है इस गाने में.
ये गाना जहाँ पूरी तरह प्यार में डूबा देता है वही इस जोड़ी का ये गाना ऐसी खूबसूरत उदासी में ले जाता है जहाँ शायद ही कोई और गाना ले जा सके. पहले गाना सुनिए फिर किस्सा भी बताते है.
मिली फिल्म का ये गाना किशोर दा के बेहतरीन दर्द भरे गानों में से एक है और होगा भी क्यों नहीं, एस डी बर्मन किशोर कुमार के पिता समां थे और मिली के वक्त बहुत ही बीमार थे. ये गाना किशोरे ने एस डी के गम में गाया था.
अरे अरे आप तो उदास ही हो गए. किशोर कुमार जैसे जिंदादिल इंसान का जन्म दिन और उदासी का माहौल कुछ जमा नहीं.. तो ये लो उनका उदासी दूर करने वाला ये मस्ती भरा गाना
इस गाने की सबसे खास बात ये की किशोर कुमार ने ही दोनों पुरुष और महिला की आवाज़ दी है .
फिल्म हाफ टिकिट का ये गाना ही मस्त नहीं ये फिल्म भी देखना ज़रूर कॉमेडी का खजाना है ये फिल्म.
किशोर कुमार गायकी में नए आयाम स्थापित करते जा रहे थे, फिर भी बहुत से लोग नहीं मानते थे कि वो लम्बी रेस के घोड़े है. इसके दो कारण थे.
पहला – किशोर कुमार की संगीत में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी
दूसरी – उन पर एक ही तरह के गाने का ठप्पा लगने लगा था.
इस दौरान किशोर कुमार ने सभी बड़े संगीतकारों के साथ काम किया और बहुत से हिट गाने दिए पर जो मुकाम किशोर को पाना था वो आना अभी बाकि था.
साल था 1969 फिल्म आराधना, उदय हुआ एक नए सितारे का. राजेश खन्ना और उनकी आवाज़ बने किशोर और उसके बाद की कहानी नहीं इतिहास है. एक के बाद एक अनगिनत सुपरहिट गानों का.
उस दशक में किशोर कुमार राजेश खन्ना और आर डी बर्मन की तिकड़ी का मतलब ना सिर्फ सुपरहिट संगीत होता था बल्कि सुपरहिट फिल्म की भी गारंटी थी. बहुत बातें हो गयी अब ज़रा मज़ा लीजिये इस मस्ती भरे गाने का और आवाज़ दीजिये आप भी अपने सपनो की रानी को.
आया ना मज़ा तो अब आगे बढ़ते है किशोर कुमार राजेश खन्ना की तो आवाज़ बन ही चुके थे साथ ही साथ को धर्मेन्द्र और देव साब के गाने भी लगातार गा रहे थे.
ये वो दौर था जब किशोर कुमार की वजह से रफ़ी साब जैसे महान गायक भी गायकी से दूर हो गए थे. हिंदी संगीत में सिर्फ एक ही नाम चमक रहा था किशोर कुमार का.
इस गाने में हेमा जी तो ड्रीमगर्ल थी ही पर किशोर कुमार की आवाज़ ने तो कमल कर दिया था. इसी के साथ देव साब के लिए गाया ये गाना आज भी ना जाने कितने आशिकों की कहानी कह देता है .
चलिए अब आगे बढ़ते है. 70 का दौर शुरू हो गया था राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र के साथ साथ अब उदय हो चूका था अमिताभ बच्चन का. राजेश खन्ना की तरह ही अमिताभ की भी आवाज़ बने किशोर कुमार और उसके बाद दोनों ने सफलता के नए आयाम खड़े किये.
मुंबई और बारिश पर शायद ही कोई इतना खूबसूरत गीत बना हो
किशोर कुमार जहाँ अपनी गायकी के लिए प्रसिद्ध थे वहीँ अपनी अजीब हरकतों के लिए भी उतने ही प्रसिद्ध थे.
कोई उन्हें सनकी कहता तो कोई कंजूस. लोग चाहे कुछ भी कहे पर किशोर संगीत जगत के वो सितारे है जो हमेशा अपनी चमक बिखेरता रहेगा.
80 के दशक में किशोर कुमार ने बप्पी दा के साथ अमिताभ के लिए कई गाने गाये और सब के सब बहुत प्रसिद्ध हुए, इसी दौर में रफ़ी साब ने एक बार फिर अपनी गायकी का लोहा मनवाया और ऋषि कपूर जैसे नए सितारे की आवाज़ बनें.
किशोर और रफ़ी दोनों में कभी कोई प्रतियोगिता नहीं रही. जहाँ ऋषि के लिए रफ़ी ने दर्द ए दिल गाया वही उसी फिल्म में ऋषि के लिए किशोर कुमार ने ओम शांति ओम भी गाया.
तो जब बात ऋषि और किशोर कुमार की हो तो फिर ये गाना तो सुनना बनता है.
बात हो रही थी रफ़ी और किशोर कुमार की. पुराने दौर की बात है जब किशोर एक खास तरह के गाने ही ज्यादा गाते थे.
कुछ गानों के लिए किशोर की आवाज़ जमती नहीं थी तो उनके लिए रफ़ी ने भी गाया. ऐसी महानता थी दोनों गायकों में की कोई किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं. दोनों संगीत के उपासक.
तो सुनिए रागिनी फिल्म का ये गाना जिसमे रफ़ी साब ने आवाज़ दी है किशोर दा के लिए
किशोर कुमार जैसे कलाकार कभी कभी ही पैदा होते है और हमेशा के लिए अमर हो जाते है.
आज 4 अगस्त को किशोर कुमार का जन्मदिन है. किशोर कुमार ऐसे कलाकार जो दुनिया में कभी कभी आते है और हमेशा के लिए अमर हो जाते है.
इसी गाने के साथ विदा लेते है. पर याद रहे ‘कभी अलविदा ना कहना ’
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