भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह वेनेजुएला के राष्ट्रपति 11 दिसंबर को टीवी पर आए औरअपने देश में नोटबंदी की घोषणा कर दी.
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने नोटबंदी का आपात आदेश लागू करते हुए कहा कि देशकी सबसे बड़ी मुद्रा यानी 100 बोलिवर 72 घंटे बाद चलन से बाहर हो जाएंगी.
वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने यह कदम उन माफियाओं को नाकाम करने के लिए उठाया है जो नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं.
बताया जाता है कि वेनेजुएला में इस समय जो आर्थिक संकट है उसको लेकर वहां की सरकार ने एक जांच कराई थी. जांच में पाया गया कि नोटों के अंतरराष्ट्रीय माफियाओं ने ब्राजील और कोलंबियाई शहरों में 100 बोलिवर के अरबों नोट छिपा रखे हैं.
वेनेजुएला में नोटों की तस्करी का आलम यह था कि वहां एटीएम तीन-चार घंटे में ही खाली हो जा रहे थे. नोट माफिया नोट निकालकर इनको देश के बाहर भेजकर जमाखोरी कर रहे थे.
नोटों के तस्कर अब इन नोटों को दोबारा वेनुजुएला में न खपा पाए इसके लिए वहां की सरकार ने देश के सभी जमीनी, वायु और समुद्री मार्गों को बंद कर दिया है. यानी भारत की तरह वेनेजुएलामें भी कालेधन के कारोबारियों का सारा पैसा कागज हो गया है.
वहीं आर्थिक संकट और विश्व की सबसे अधिक महंगाई झेल रहे वेनेजुएला की सरकार ने नए नोट और सिक्के जारी करने की तैयारी की है, जिनका मूल्य इस समय उपलब्ध सबसे बड़ी राशि के नोट से लगभग 200 गुना ज्यादा होगा.
आपको बता दें कि अंतरराष्टीय मुद्रा बाजार में इस समय 1 बोलिवर नोट की कीमत करीब 6 रुपए 80 पैसे के बराबर है. जबकि 100 बोलिवर के एक नोट की कीमत इस समय एक डॉलर के तीन सेंट्स से कुछ कम है. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक नोट से मुश्किल से एक टाफी खरीदीजा सकती है. जबकि आधिकारिक रूप से देखें तो एक डॉलर का मूल्य दस बॉलिवर के बराबरहै.
यदि किसी को एक हैमबर्गर खरीदना है तो उसे करीब 50 नोट चाहिए.
नोटों को कालेधन के रूप में जमा करने के कारण वहां हालत यह है कि कई जगह नोट गिनकर नहीं बल्कि तौलकर लिए जा रहे हैं. मुद्रा के इस जाली अवमूल्यन के कारण वेनेजुएला में कोई भी व्यक्ति अपने देश की करेंसी बॉलिवर को अपने पास रखना नहीं चाहता क्योंकि लोग थैलों में भरकर नोट बाजार में जाते हैं लेकिन वहां पर वे थैला भर पैसो से जरूरत भर की मामूली चीजें ही खरीद पाते हैं.
यही वजह है वेनेजुएला के लोग अपने देश की मुद्रा बोलिवर को डॉलर से बदल रहे हैं. जिस कारण वेनेजुएला में डॉलर की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.