वास्तु शास्त्र का कोर्स – शिक्षा के नए सत्र के साथ साथ कई यूनवर्सिटी नए कोर्स भी शुरू कर रही है। इस प्रयोजन में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने एक नए कोर्स की शुरूआत की है।
मुख्यत: जेएनयू का वास्तु शास्त्र का कोर्स शुरू करने के पीछे एक ही उद्देश्य है, जिसके जरिये वह संस्कृत के छात्रों को रोजगार योग्य बनाना चाहता है।
जेनएनयू में हाल ही में स्थापित स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज (एसएसआईएस) ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है।
एसएसआईएस (SSIS) के द्वार कल्प वेदांग में पीजी डिप्लोमा (PG DEPLOMA) और पंडित की ट्रेनिंग देने जैसे कई संस्कृत के नए कोर्स की शुरूआत करने जा रही है।
आपको बतां दे कि ये कोर्स साल 2019 के सत्र से शुरू कर दिये जायेंगे।
खबरों के मुताबिक वास्तु शास्त्र का कोर्स हर जाति, धर्म और समुदाय के छात्र एडमिशन ले सकते है। एसएसआईएस के पहले डीन का पदभार गिरीश नाथ झा ने संभाला है, इस कोर्स को लेकर डीन गिरिश नाथ का कहना है कि हम संस्कृत की छवि को मजबूत करना चाहते है। यह हमारे देश की प्राचीन भाषा है, जोकि अल्ट्रा-मॉडन भी है और कंप्यूटर के लिए भी उपयुक्त है। इतना ही नहीं मीडिया में छाई खबरों के अनुसार उन्होंने ये भी कहा कि हमें उम्मीद है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग के लिए हुए पंडित मंदिरों और धार्मिक स्थलों और कार्यक्रमों में भी जायेंगे।
इन कोर्स में उम्मीदवारों को श्रुति पर आधारित स्रोतसूत्र, स्मृति, संस्कार, परंपरा पर आधारित स्मृतसूत्र जैसे पाठ पढ़ाये जाएंगे।
इसी के साथ इस कोर्स के अन्दर संस्कृत भाषा से जुड़े अन्य कई तरह के पाठ पढ़ाये और सिखाये जायेंगे। आपको बतां दे कि इस कोर्स को कराने का प्रस्ताव 23 फरवरी को एसएसआईएस की स्कूल कॉडिनेशन कमेटी में लिया गया था, जहां इस कोर्स को लेकर पूरा खुलासा किया गया था।
एसएसआईएस की स्कूल कॉडिनेशन कमेटी के अनुसार जेएनयू में स्थापित सेंटर फॉर संस्कृत स्टडीज को पूरी तरह से अपडेट कर दिसंबर 2017 में स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंदिक स्टडीज के रूप में तब्दिल किया गया है। इसी कोर्स की शुरूत के साथ जेएनयू ने अन्य और कई नए कोर्स की शुरूआत की है, जिसमें धार्मिक पर्यटन का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी करवाया जायेगा।
जानकारी के मुताबिक वास्तु शास्त्र का कोर्स एक साल के पीजी डिप्लोमा के अलावा इस नए सेशन में योग और आयुर्वेद की पढ़ाई भी शामिल होगी। इन सब बातों को लेकर यह तक कहा जा रहा है कि जब भी इस कल्प वेदांग कर्मकांड की पढ़ाई की शुरूआत होगी, तब लाल सलाम के नारों के बीच शंख की गूंज जरूर गुंजेगी। जानकारी के मुताबिक प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में है और इसके लिए अभी हाल ही में कुछ दिन पहले एक बैठक भी हुई है। इस बैठक में स्कूल ऑफ साइंस और ई-लर्निंग कोर्स के विशेषज्ञों को खासतौर पर आमंत्रित किया गया था।, जिसके बाद एसएसआईएस के डीन का पदभार संभाल रहे गिरिश नाथ ने इस खबर की पुष्टि की थी।
वास्तु शास्त्र का कोर्स – जेएनयू के नए कोर्स की लिस्ट में अब टेक्निकल कोर्स की भी शुरूआत की जा रही है, जिसके अंर्तगत जेएनयू में इंजीनियरिंग के कोर्स की भी शुरूआत की जा रही है।