वास्कोडिगामा की कहानी – वास्कोडिगामा एक झूठा और मक्कार किस्म का इंसान था.
आपने जिस वास्कोडिगामा की कहानी किताबों में पढ़ी है असल में वह कहानी झूठी है. वास्कोडिगामा खुद को जीसस का भक्त बोलता था और इसने खुद साबित किया कि वह एक झूठा भक्त है.
सबसे पहले तो बता दिया जाए कि यहाँ बताई गयी बातें डा. सतीश चन्द्र मित्तल की इतिहास की पुस्तक ब्रिटिश इतिहासकार और भारत के अन्दर सबूत के तौर पर जाँची जा सकती हैं.
क्या है वास्कोडिगामा का झूठ?
वास्कोडिगामा के मन में भारत तक पहुँचने की प्रबल इच्छा होती जा रही थी. लेकिन समस्या यह थी कि उसके पास तब इस यात्रा को करने के लिए धन नहीं था. तब वास्कोडिगामा ने खुद को जीसस का प्रबल भक्त साबित किया. यह अपने साथियों के सामने इस तरह का व्यवहार करने लगा था कि जैसे वह भगवान का बड़ा भक्त बनता जा रहा है.
वास्कोडिगामा जानता था कि भारत सोने की चिड़िया है और जिसने भी भारत को लूटा है, वह इस लूट के बाद अमीर हो जाता है. तब इसलिए वास्कोडिगामा ने भारत तक जाने के लिए, भगवान के झूठे विश्वास का सहारा लिया और यह धूर्ततापूर्ण योजना बनाई.
क्या थी योजना ?
वास्कोडिगामा ने जमीन के नीचे एक पत्थर गाढ़ दिया और उस पर भविष्यवाणी लिखी कि जो ‘पश्चिमी लोगों के लिए’ था. इसमें उसने लिखा कि शीघ्र ही भारत की ओर जाने वाले व्यापारिक मार्ग का पता चलेगा.
कुछ दिनों बाद वास्कोडिगामा ने यह दबा हुआ पत्थर कुछ लोगों के सामने निकाला और इस अपने लिखे को ईश्वर (जीसस) की भविष्यवाणी बताई. लोगों को विश्वास हुआ कि जीसस ऐसा चाहते हैं कि हम भारत तक जायें.
वास्कोडिगामा को तब काफी लोगों का जन-समर्थन मिला और लोगों ने इसको इस यात्रा के लिए काफी धन भी दिया. पुर्तगाल के शासक ने भी वास्कोडिगामा का साथ दिया और धन दिया.
क्या कहते थे महात्मा गांधी ?
आज तक हम सभी अपने बच्चों को यही किताबों में पढ़ाते हैं कि वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की थी. लेकिन असल में खुद महात्मा गाँधी यह बोलते थे कि वास्कोडिगामा एक गुजराती व्यापारी का पीछा करता हुआ भारत आया था. इस व्यापारी का नाम स्कंदगुप्त बताया जाता है, जिसका दक्षिण अफ्रीका में बड़ा व्यापार था.
तो इस तरह से यह साफ़ हो जाता है कि हमारी इतिहास की किताबें झूठ बोलती हैं कि वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की थी.
वैसे भी ऊपर लिखी हुई बात से भी यह स्पष्ट होता है कि वास्कोडिगामा ने भारत तक आने के लिए जीसस के नाम का भी झूठा सहारा लिया था. जो व्यक्ति भोले-भाले लोगों को भगवान के नाम का इस्तेमाल कर बहका सकता है, उस व्यक्ति को धूर्त ही बोला जाना चाहिए.
एक पापी की पूजा करता है भारत
वास्कोडिगामा की कहानी के अनुसार पहली बार भारत को लूटने के बाद वास्कोडिगामा फिर से सन 1520 में भारत आया था.
इस बार यह 20 जहाज लेकर भारत आया था. कर्नाटक और कोचीन के शासकों के बीच उस समय कलह चल रही थी और इसी का फायदा वास्कोडिगामा ने उठाया. पुस्तकें बोलती हैं कि भारत लूट के लिए वास्कोडिगामा ने अनेक भारतीय मासूम लोगों को फांसी दी थी और कुछ 800 लोगों के नाक, कान और हाथ काट लिए थे.
तो ये थी वास्कोडिगामा की कहानी – अब इतने के बाद भी हम कैसे अपने मासूम बच्चों को यह पढ़ा सकते हैं कि वास्कोडिगामा एक सच्चा और महान योद्धा था.
आज तक हमारे बच्चे यही जानते हैं कि वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की थी जबकि खुद महात्मा गाँधी यह बात नहीं मानते थे. तो शायद अब वक़्त आ गया है कि सही सच जनता के सामने लाया जाए, तो इस सच को अब आप भी पढ़िए और ज्यादा से ज्यादा शेयर भी कीजिये.