राजनीति

सेना पाकिस्तान को उसकी सीमा में घुसकर मारना चाहती थी लेकिन वाजपेयी ने रोक लिया!

वर्ष 1999 में जब भारतीय सेना कारगिल में पाकिस्तानी सेना से युद्ध लड़ रही थी उस समय एक ऐसा वाक्य हुआ जिसे सुनने के बाद आपको ताज्जुब होगा.

जिस समय युद्ध अपने पीक पर था तब भारतीय थलसेना के अध्यक्ष रहे जनरल मलिक तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से नाराज हो गए थे.

दरअसल, कारगिल युद्ध के वक्त सेना प्रमुख रहे जनरल मलिक चाहते थे कि पाकिस्तान को उसकी सीमा में घुसकर सबक सिखाया जाए.

पाकिस्तानी सेना ने 1999 में भारत के इलाके में घुसकर कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना उनको खदेड़ने के लिए लगातार हमले कर रही थी. इसके लिए भारतीय सेना एलओसी को पार करने के लिए तैयार थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सेना को ये कदम उठाने से रोक दिया.

एलओसी पार कर पाक सीमा में घुसकर पाकिस्तानी सेना पर कार्रवाई करने से रोके जाने पर जनरल मलिक और सैनिक बहुत नाराज थे. यह बात स्वय जनरल मलिक ने बताई है. जनरल मलिक ने हाल में भारतीय सेना द्वारा एलओसी पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की सराहना की.

कारगिल युद्ध के दौरान एलओसी पार नहीं करने को लेकर जनरल मलिक ने कहा कि भारतीय सेना पाकिस्तानी घुसपैठ का जवाब देने के लिए उस वक्त एलओसी पार करने को तैयार थी. लेकिन 2 जून को उनके पास तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी का संदेश आया कि सेना एलओसी पार नहीं करेगी. सेना अपनी जमीन से लड़ाई लड़ेगी. गौरतलब है कि उस समय सीमा रेखा पार पाकिस्तान को उसके इलाके में घुसकर सबक सिखाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी पर सेना और जनता का काफी दवाब था.

जनरल मलिक ने कहा जब वे प्रधानमंत्री वाजपेयी से एलओसी पार करने की अनुमति मांग रहे थे तब वाजपेयी ने उनसे कहा कि पाकिस्तान की सेना तो चाहती है कि युद्ध हो जाए. लेकिन हम उसकी रणनीति में नही उलझेंगे.

वाजपेयी के ये शब्द सुनकर वे उनसे बहुत नाराज हुए थे.

लेकिन वाजपेयी जानते थे कि सेना प्रमुख के रूप में जनरल मलिक के लिए इस राजनीतिक निर्णय को स्वीकार करने में बहुत कठिनाई होगी. जनरल मलिक ने बताया कि इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने उन्हें पाकिस्तान पर सीमा पार हमला न करने के लिए काफी मनाया. इसके लिए एक दिन में तीन-तीन बैठकें हुईं.

बावजूद इसके जनरल मलिक भी स्वीकार करते हैं कि उनकी और सैनिकों की नाराजगी के बाद उनको भी इस बात का ऐहसास था कि इस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी दबाव बना रहा था. उस समय क्षेत्र के जो हालात थे उसको अगर दूरद्ष्टि से देखें तो तत्कालीन सरकार का फैसला सही था.

Vivek Tyagi

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