वैक्यूम बायो टॉयलेट – परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियों में ट्रेन का सफर करने में मज़ा तो बहुत आता है, लेकिन जब बात टॉयलेट जाने की आती है तो आप भी काफी देर तक सोचते रहते हैं जाए की नहीं और जब प्रेशर बर्दाशत के बाहर हो जाता है तभी आप मजबूरी में टॉयलेट जाते हैं वो भी नाक पर रूमाल रखकर.
दरअसल, ट्रेन के टॉयलेट इतने गंदे और बदबूदार होते हैं कि कुछ देर के लिए यदि इंसान वहां खड़ा हो जाए तो पक्का बेहोश हो जाएगा. हद तो ये है कि जनरल और स्लीपर ही नहीं एसी कोच के टॉयलेट्स का भी यही हाल रहता है.
मगर अब रेल यात्रियों को रेलवे साफ सुथरे टॉयलेट का तोहफा देने जा रही है. जल्दी ही भारतीय रेलों में मौजूद साधारण टॉयलेट के भी अच्छे दिन आने वाले हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ समय पहले कहा था कि जल्दी ही सभी रेलगाड़ियों में ‘उन्नत’ वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाने पर विचार किया जा रहा है. केंद्र सरकार विमानन कंपनियों की तर्ज पर रेलवे में भी सुविधाओं में सुधार की कोशिश कर रही है.
सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट की जगह आधुनिक वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाना इसी योजना का हिस्सा है.
रेलमंत्री के कहा था कि प्रयोग के तौर पर हम विमानों की तरह ट्रेनों में भी वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाने पर विचार कर रहे हैं.
शुरुआत में 500 वैक्यूम बायो टॉयलेट का आर्डर दिया गया है. खबरों के मुताबिक अगर प्रयोग सफल रहता है तो सभी रेलगाड़ियों में भी वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाए जाएंगे. रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार अभी तक रेलों में 1,36,965 बायो-टॉयलेट लगाए जाते हैं. वहीं इन वैक्यूम बायो टॉयलेट पर करीब एक लाख रुपये की लागत आती है. रेलवे की मार्च 2019 तक करीब 18,750 और डिब्बों में बायो टॉयलेट लगाने की योजना है.
इसी के साथ भारतीय रेलवे के सभी डिब्बों में इस तरह के टॉइलट लग जाएंगे. जिस पर करीब 250 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
कहा जा रहा है कि रेलवे का लक्ष्य है कि मार्च 2019 तक 100 प्रतिशत रेलगाड़ियों में बायो टॉयलेट जाएं. जिससे रेल की पटरियां साफ होंगी, पर्यावरण में गंदगी नहीं फैलेगी. उन्होंने बताया कि प्रति इकाई 2.5 लाख रुपये की लागत से तैयार होने वाले वैक्यूम टॉयलेट बदबू रहित होंगे. इसमें मौजूदा टॉयलेट के मुकाबले पानी का इस्तेमान पांच प्रतिशत कम होगा. यदि ऐसा हो जाता है तो यकीनन रेल यात्रियों के अच्छे दिन आ जाएंगे.
वैसे रेलवे में जिस हिसाब से किराया लिया जाता है यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता. टॉयलेट के साथ ही ट्रेन में मिलने वाले खाने की क्वालिटी भी बहुत घटिया होती है, उम्मीद है भविष्य में रेल मंत्री इसे सुधारने पर भी ध्यान देंगे.