उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2017 के लिए मतदान हो चुका है.
इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव पिछले कुछ पांच चुनावों से सबसे अधिक रोचक रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में जगह-जगह घूमने पर मालूमपड़ा कि इस बार जनता ने जात को भूलकर, विकास के मुद्दे पर वोट दिया है. नोटबंदी के कारण जहाँ चुनावी पंडितों को लग रहा था कि बीजेपी को घाटा होने वाला है, वहीं जनता ने नोटबंदी को सौप्रतिशत सही माना है. उत्तर प्रदेश के लोगों का कहना है कि इसी नोटबंदी की वजह से राहुल गाँधी बैंक की लाइन में खड़े दिखे थे.
उत्तर प्रदेश में इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर युवा रहने वाले हैं. अधिकतर एग्जिट पोल युवाओं को नजरअंदाज करके तैयार किये जाते हैं जबकि इस बार यंगिस्थान ने उत्तर प्रदेश की गली-गली में घूमकर जो उत्तर प्रदेश एग्जिट पोल तैयार किया है उनमें आधे से ज्यादा उन युवाओं का मत शामिल किया है जो अपने भविष्य के लिए इस बार प्रदेश में बदलाव की आंधी लाने वाले हैं.
यंगिस्थान का यह उत्तर प्रदेश एग्जिट पोल इन चुनावों में सबसे सटीक इसलिए होने वाला है क्योकि हमने घर-घर जाकर लोगों से राय ली है.
मोबाइल या इन्टरनेट पर किसी सर्वे को ना चलाकर, सातों चरणों के चुनावों में जमीनी सच्चाई को यंगिस्थान ने खोजा है.
तो आइये यंगिस्थान के सबसे बड़े उत्तर प्रदेश एग्जिट पोल पर नजर डालते हैं और जानते हैं कि किस पार्टी का भाग्य उत्तर प्रदेश चुनावों में चमकने वाला है-
उत्तर प्रदेश एग्जिट पोल –
बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कर दिया है कमाल
यंगिस्थान के एग्जिट पोल के मुताबिक साल 2017 में उत्तर प्रदेश के अंदर बीजेपी के सरकार बन रही है. पहले चरण के चुनाव में बेशक बीजेपी पिछड़ गयी थी किन्तु उसके बाद के दूसरे, तीसरे, चौथे,छठे और सातवे चरण के चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन लाजवाब रहने वाला है. सातों चरणों के चुनाव में बीजेपी का विकास और मोदी का बोलबाला रहा है. उत्तर प्रदेश की जनता ने पिछले कुछ समयसे मायावती और फिर अखिलेश यादव दोनों पर भरोसा करके देख लिया है किन्तु इस बार प्रदेश की जनता बीजेपी को रिकॉर्ड मतों से जीताकर प्रदेश की कमान पार्टी के हाथों में देना चाहती है.
यंगिस्थान के जमीनी सर्वे के मुताबिक़ इस बार बीजेपी को 274 के आसपास सीटें मिलने वाली हैं.
प्रधानमन्त्री मोदी ने चुनाव के अंतिम चरण में जिस तरह से पार्टी का प्रचार किया है उसने तो कमालका काम किया है. सातवे चरण के चुनाव में माँ गंगा का पूरा वोट बैंक बीजेपी की तरफ आ गया है. पान खाने वाले बुद्धिजीवियों ने बीजेपी को इसलिए वोट दिया है क्योकि इस समय विकास जैसे मुद्दोंपर बीजेपी ही काम कर सकती है. बीजेपी की विचारधारा विकास की है बाकी पार्टियाँ तो सिर्फ खुद को जीवित रखने की लड़ाई लड़ रही हैं. लखनऊ के लोगों की मानें तो उनका कहना है कि मज़बूरी हैकि सपा को वोट देने का नाटक हमको करना पड़ता है. सपा के लोग जोर–जबरदस्ती करके उनको वोट देने का डर भी दिखाते हैं लेकिन इस बार लखनऊ की जनता ने भी मोदी का साथ दिया है. प्रदेशकी कुल विधानसभा सीटों में से बीजेपी को आधे से अधिक सीटें मिल रही हैं.
274 के आसपास का आंकड़ा प्राप्तकर मोदी इस बार रिकॉर्ड बनाने वाले हैं.
11 मार्च को उत्तर प्रदेश में कमल खिलने वाला है.
समाजवादी और कांग्रेस का टूट जायेगा गठबंधन
अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने जिस प्रकार से गठबंधन करके इस बार चुनाव लड़ा था, उसका कोई भी फायदा दोनों पार्टियों को नहीं होने वाला है. सपा की स्थिति वैसे पहले चरण के चुनाव मेंमजबूत थी किन्तु बाद में नेतृत्व की कमी के चलते सपा हार गयी है.
समाजवादी पार्टी जहाँ चुनाव के कुछ समय पहले तक 200 सीटों का आकड़ा प्राप्त करती हुई नजर आ रही थी किन्तु परिवार की कलह और कांग्रेस के साथ के चलते यह गठबंधन कुछ 68 सीटें प्राप्तकरता हुआ नजर आ रहा है. अखिलेश अगर एक बार को राहुल गाँधी का साथ नहीं लेते तो शायद उनकी स्थिति बेहतर हो सकती थी. परिवार में पिता का जिस तरह से अपमान किया गया है उसकीवजह से जनता का विश्वास ही सपा से उठ गया है. कांग्रेस वैसे इन चुनावों में कहीं लड़ाई कर ही नहीं रही थी, वह तो बस सपा के भविष्य से खेलने प्रदेश में आई थी.
हाथी का अब बचना मुश्किल है
यंगिस्थान का एग्जिट पोल बता रहा है कि उत्तर प्रदेश में कहीं भी बहुजन समाजवादी पार्टी का नाम गर्व के साथ नहीं लिया जा रहा है. जमीनी सच्चाई यह है कि बहन मायावती का राजनैतिक करियरही जैसे इन चुनावों के बाद खत्म होता दिखने वाला है. जब हम उत्तर प्रदेश के उन क्षेत्रों में गये जहाँ प्रदेश का दलित वोट बैंक जो कुछ 20 से 24 प्रतिशत है तो वहां पर जरुर बहन मायावती के लिएलोगों के दिलों में जगह नजर आई. लेकिन इन जगहों पर जो युवा रह रहा है वह भी मोदी-मोदी करता हुआ नजर आया है.
अब यंगिस्थान का सबसे सटीक और सबसे बड़ा उत्तर प्रदेश एग्जिट पोल बता रहा है कि इन विधानसभा चुनाव में बसपा को कुछ 35 सीटें ही मिलने वाली हैं. यह सीटें ऐसी हैं जिनको पाकर भी मायावती 11 मार्चके दिन बिलख–बिलखकर रोने वाली हैं. मायावती के लिए प्रदेश में बोला जा रहा है कि बहनजी आज तक पर्चे पर लिखे भाषण से आगे तो बोल नहीं पाई हैं और ऐसे में उत्तर प्रदेश का विकास क्या वह ख़ाक करेंगी.
सबसे अंत में आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 सीटों में से अन्य के खातें में 26 सीटों की आसपास रहने वाली हैं. अन्य की यह सीटें वैसे कांग्रेस से बेहतर रहेंगी.
यंगिस्थान के अगले सर्वे में हम आपको बताने वाले हैं कि जनता बीजेपी के किस नेता को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रही है.
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