हेडफोन – साइंस ने इंसानों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई हैं।
जिसमे कम्युनिकेशन, ट्रांसपोर्टेशन से लेकर परमाणु हथियार तक दिए हैं। मतलब अगर इस तरक्की को एक सरल अंदाज़ में कहा जाए तो विज्ञान ने दुनिया को उसकी जरूरत की बेसिक से बेसिक चीजे दी है। तो वहीँ एक झटके में इस पूरी दुनिया को ख़त्म कर दे ऐसे भयंकर हथियारों का अबिष्कार भी किया।
दुसरे शब्दों में कहा जाए तो अगर विज्ञान ने दवाई बनाई तो जख्म देने का इंतजाम भी कर लिया है। विज्ञान की अधिकतर चीजें सुविधा और उपयोग के नज़रिए से बेहतर हैं लेकिन सुविधा के साथ घातक परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
आज हम बात करने वाले हैं कम्युनिकेशन के फ़ील्ड में इज़ाद हुई एक ऐसी डिवाइस हैडफ़ोन की, जिसने लोगों की बेतहाशा मदद की लेकिन साथ में उनकी हेल्दी-वेल्दी लाइफ को भी खूब नुकसान पहुँचाया। लेकिन बिडम्बना की बात तो ये हैं कि लोग फिर भी इन डिवाइस के इतने एडिक्टेड हो चुके हैं कि कुछ भी हो जाए लेकिन ये डिवाइस छोड़ने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि बहुत हद तक ये डिवाइस उनकी लाइफ का हिस्सा बन चुकी है।
हेडफोन से होने वाले फायदे की बात की जाए तो हेडफोन अथवा ईयर फ़ोन से सिर्फ बात करने में आसानी होती है। लेकिन हेडफोन के नुकसान की बात कि जाए तो एक लम्बी लिस्ट सामने आती है जिसमें अनेकों दुस्परिणाम होते हैं, इनमे से कुछ बातें निम्न है-
- हमारे कान के लिए आमतौर पर 65 डेसिबल तक की आवाज परफेक्ट होती है, इसलिए इससे तेज़ आवाज को सुनने से बचना चाहिये।तेज़ आवाज में अगर आप लगातार 4 घंटे गाने सुनते हैं तो आपको कम सुनने की दिक्कत हो सकती है।
- 2.एक रिसर्च के अनुसार कान में ईयर फ़ोन लगाने से कान में वेक्टिरिया की संख्या दुगनी तेज़ी से बढ़ने लगती है।
- ईयर फ़ोन लगाने से इन्फेक्शन फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। ईयर फ़ोन से संक्रमण फैलने का कारण मुख्यरूप से शेयरिंग है।इसलिए जब भी शेयर करें तो उसे पहले साफ़ करें।
इसके अलावा अगर आप रात को सोते हुए गाने सुनते हैं तो यह आपके कान के लिए ठीक नहीं है साइंस के मुताबिक अगर आप 90 डेसिबल की ध्वनि लगातार 40 घंटों तक सुनते हैं तो आप हमेशा के लिए बहरे हो सकते है। इसलिए अगर आप अब से गाने या और कुछ भी सुन रहे हैं तो एक लिमिटेड आवाज में एक निश्चित अंतराल के साथ ही सुने।