बात बात पर भारत को परमाणु बमों की धमकी देने वाले पाकिस्तान को इन दिनों चैन की नींद नहीं आ रही है.
दरअसल, जब से भारत ने अपने दुश्मनों के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अपनी नो फर्स्ट यूज पॉलिसी से हटने के संकेत दिए हैं उसके बाद से पाकिस्तान टेंशन में है. उसकी यह टेंशन इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि भारत में इस वक्त भाजपा की सरकार का शासन है और सबसे बड़ी चिंता उस सरकार का मुखिया नरेंद्र मोदी है, जो भारत के खिलाफ किसी भी धमकी या कार्रवाई के खिलाफ तुरंत ऐक्शन लेता है.
बता दें कि दुनिया के न्यूक्लियर एक्सपर्ट्स ने यह माना है कि भारत में मोदी सरकार के आने के बाद उसकी दशकों पुरानी न्यूक्लियर डॉक्टरिन (परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की नीति) में बदलाव के संकेत मिल रहें हैं.
यानी किसी हमले की आशंका में भारत पहले ही अपने दुश्मन के खिलाफ बड़ा और व्यापक स्तर का न्यूक्लियर हमला कर सकता है. इस नई नीति के तहत भारत अब दुश्मन के हमले की प्रतीक्षा नहीं करेगा.
इस खबर से पाकिस्तान किस कदर टेंशन में हैं इसकी झलक पाकिस्तान के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व चेयरमैन एहसान उल हक के बयान से मिलती है. लर्निंग टु लिव विद द बॉम्ब, पाकिस्तान 1998-2016 नाम की किताब के विमोचन के मौके पर हक ने कहा, यह चिंताजनक है कि ऐसा भारतीय जनता पार्टी की कट्टर हिंदुत्व एजेंडे वाली सरकार की पृष्ठभूमि में हो रहा है.
बता दें कि इस किताब को पाकिस्तान के स्ट्रैटिजिक प्लानिंग डिविजन के डॉ नईम सालिक ने लिखा है.
दरअसल, पाकिस्तान की यह टेंशन विश्व प्रसिद्ध मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के विद्वान विपिन नारंग ने वॉशिंगटन में आयोजित इंटरनेशनल न्यूक्लियर पॉलिसी कॉन्फ्रेंस में दिए गए व्याख्यान और पूर्व भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बयान से बढ़ी है.
नारंग ने कहा था, भारत अपने दुश्मन के छोटी रेंज के नस्र न्यूक्लियर मिसाइल सिस्टम को तबाह करने तक ही खुद को सीमित नहीं रखेगा. बल्कि वह एक बड़ा और व्यापक हमला करेगा, जिसका मकसद पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे को पूरी तरह बर्बाद करना होगा.
ताकि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बार-बार जवाबी हमले न करने पड़े और न ही उसके शहरों पर परमाणु हमलों का खतरा मंडराए.
इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि भारत अब पाकिस्तान को पहले हमला करने का मौका नहीं देगा. क्योंकि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि आखिर क्यों भारत को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की पहल करने से खुद को रोकना चाहिए.
पर्रिकर के बाद पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने भी माना कि किसी परमाणु ताकत संपन्न देश के खिलाफ भारत न्यूक्लियर हथियार कब इस्तेमाल करेगा, इससे जुड़ी स्थितियां साफ नहीं हैं.
द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल हक ने कहा कि भारत की अपनी नीति से हटने का इशारा हाल फिलहाल में उसकी ओर से उठाए गए कई भड़काऊ कदमों से भी मिलता है.
हक के मुताबिक, भारत के बार-बार बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान के मुद्दे उठाने, सार्क समिट में बाधा पहुंचाने, लाइन ऑफ कंट्रोल पर तनाव बढ़ाने, सर्जिकल स्ट्राइक करने, पाकिस्तान को अलग-थलग करने से और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से भी पाकिस्तान को सावधान रहना होगा.
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