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यूपी के इतिहास का सबसे रोचक मुख्यमंत्री जिसकी मौत पेरिस में हुई

वीर बहादुर सिंह

नारायण तिवारी के बाद उत्तरप्रदेश के 14वें  मुख्‍यमंत्री वीर बहादुर सिंह बने।

उस समय यूपी बाढ़ आपदा से त्रस्‍त था और तिवारी जी के जाने के बाद पूरे राज्‍य में बौखलाहट का सा माहौल था। सबसे बड़ी बात ये थी कि तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी परिष्‍कृत छवि के सामने उनका देसीपन इतनी हद तक गंवई लगता था कि सभी को उनके चयन पर हैरानी होती थी।

कई लोग उन्‍हें चतुर राजनीतिज्ञ मानते थे तो कुछ कुटिल और दंदफंदी। खुद वीर बहादुर ने अपने व्‍यक्‍तित्‍व को लेकर होने वाली बातों का कभी जवाब नहीं दिया और ना ही कभी खुद में कोई बदलाव लाए। लेकिन मुख्‍यमंत्री बनने के बाद उनके पहनावे में थोड़ा बदलाव जरूर आया था और अब वो कुछ हद तक स्‍टाइलिश भी हो गए थे। उनके कार्यकाल के दौरान कई बार ऐसी उथल-पुथल हुई जो किसी भी कुशल राजनेता को विचलित कर देती लेकिन वीर बहादुर जी निरपेक्ष हाकर अपना काम करते रहते थे। उनकी इसी उदासीनता ने उनके विरोधियों को परास्‍त कर दिया था।

जैसा उन्‍होंने वीपी सिंह के बोफोर्स कांड के हल्‍ले के बीच किया या फिर 22 कांग्रेसी हरिजन विधायकों के गुपचुप जनमोर्चे को ज्‍वाइन करने का हंगामा हो। वीर बहादुर सिंह हमेशा प्रदेश की जातिगत राजनीति के बीच जगह बनाने की कोशिश करते थे और इस लड़ाई को ब्राह्मण बनाम राजपूत की लड़ाई माना जाता रहा। उनके और एन.डी तिवारी के बीच अंदर- ही अंदर दांव पेंच चलते रहते थे।

वीर बहादुर सिंह के जीवन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण बातें

1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र तत्‍कालीन जिला गोरखपुर से सबसे पहले वीर बहादुर निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 1969, 1974, 1980 और 1985 तक 5 बार वो यूपी विधानसभा के सदस्‍य बने। 1988 से 1989 तक वो राज्‍य सभा के सदस्‍य भी रहे। 1970, 1971 से 73 और 1973 से 74 तक वह उपमंत्री के पद पर रहे। 1976 से 77 के बीच वो राज्‍य मंत्री भी रहे। 1985 में 24 सितंबर से 24 जून, 1988 तक यूपी के मुख्‍यमंत्री का पदभार संभाला। 1980 से 89 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे।

इसके अलावा वे जिला युवक कांग्रेस गोरखपुर के संयोजक भी रहे थे। यूपी कांग्रेस कमेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्‍य रहने के साथ यूपी कांग्रेस कमेटी के महामंत्री भी रहे थे। वीर बहादुर सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड के स्‍थायी निमंत्रित सदस्‍य थे।

वीर बहादुर सिंह ने रामगढ़ तालल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौडीकरण, विकास नगर, राप्‍तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्‍थापना, तारामंडल का निर्माण और कई पार्कों का सुंदरीकरण कराने का कार्य करवाया था। उनके कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में कई विकास कार्य करवाए गए थे जिनके लिए उन्‍हें आज भी याद किया जाता है और यूपी के राजनीतिक इतिहास में हमेशा उनका नाम याद किया जाएगा।   

देश की मिट्टी से जुड़ी राजनीति करने वाले वीर बहादुर सिंह की मृत्‍यु 1990 में पेरिस में हुई थी। उनके समर्थक उन्‍हें पूर्वांचल का विकास पुरुष मानते थे। वीर बहादुर सिंह की मृत्‍यु के काफी समय बाद भी लोगों को उनकी मृत्‍यु से जुड़े इस सत्‍य का यकीन नहीं हुआ था कि प्रदेशकी मिट्टी से जुड़े इस शख्‍स ने परदेस में अंतिम सांस ली। तो ये थी यूपी के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री वीर बहादुर सिंह की जीवनगाथा।