गोद लेने की बहुत पुरानी परम्परा है।
पहले वो लोग बच्चों को गोद लिया करते थे जिनके बच्चे नहीं होते थे।
बाद में कुछ ऐसे लोगों ने भी बच्चों को गोद लेना शुरु किया जो शादी नहीं करते थे परंतु बच्चे उन्हें बहुत पसंद थे।
धीरे-धीरे प्रचलन बदले। लोग किसी ऐसे गांव को गोद लेने लगे जिसको विकास की जरुरत है। जो गांव समाज से पिछड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रियों से एक-एक गांव को गोद लेने के लिए कहा। लेकिन अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री को गोद लेने की बात कह दी।
यह बात सुनने में बहुत अजीब है परंतु यह सत्य है कि कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री मोदी को गोद लेना चाहता है।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के योगेंद्र पाल ने प्रधानमंत्री को गोद लेने की अपनी इच्छा जाहिर की। फिर क्या था योगेंद्र और उनकी पत्नी सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुंच गए और प्रंधानमंत्री मोदी को गोद लेने के लिए आवेदन कर दिया।
सरकारी नियमों ने उन्हें निराश किया और उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा। सब-रजिस्ट्रार ने उन्हें मायूस लौटा दिया। सब-रजिस्ट्रार के अनुसार जब तक गोद देने वाला पक्ष मौजूद न हो गोद लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती।
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार के दौरान बाराबंकी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि जो काम यूपी का बेटा (अखिलेश) नहीं कर सका, वो काम यूपी का गोद लिया बेटा ( मोदी) करेगा।
हरदोई में भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि उत्तर प्रदेश उनका माई-बाप है। मोदी गुजरात को जन्म स्थली और उत्तर प्रदेश को कर्म स्थली कहते है।
प्रधानमंत्री को अपने इस बयान पर उत्तर प्रदेश बाल संरक्षक आयोग का नोटिस भी मिला, जिसमें उनसे पूछा गया कि आपको उत्तर प्रदेश में किसने गोद लिया। मोदी के इस बयान पर यूपी चुनाव में खूब हंगामा हुआ। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की।
बहरहाल, गोद लेने की परम्परा को फिर से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शासनकाल में आगे बढ़ाया लेकिन तब उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन उन्हें भी गोद लेने का आवेदन किया जाएगा।