यूपी के सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ – जब से योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्ममंत्री बने हैं तब से लोगों के मन एक बात रह रह कर उठ रही है.
आखिर मनोज सिन्हा का नाम फाइनल होने के बाद अचानक योगी आदित्यनाथ के नाम पर कैसे मुहर लग गई.
कुछ लोगों को मानना है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद मनोज सिन्हा के नाम पर वीटो कर योगी आदित्यनाथ के नाम को आगे किया. कहा तो यहां तक जाता है कि यूपी के सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ के नाम को लेकर संघ अड़ गया और प्रधानमंत्री पर दवाब बनाया.
जब कि ऐसा नहीं है.
यूपी के सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम संघ ने नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आगे किया था. ये बात और है कि योगी भाजपा में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर संघ की भी पसंद है.
दरअसल, जिस वक्त मनोज सिन्हा के नाम को लेकर भाजपा के अंदर आम सहमति बनाने या यूं कहें कि विधायकों मन टटोटलने की प्रक्रिया चल रही थी उस वक्त भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने पर्दे के पीछे से अपनी दावेदारी ठोकनी शुरू कर दी.
बताया जाता है कि जब मनोज सिन्हा के नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पाई तो ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य का नाम तेजी से चलने लगा. लेकिन भाजपा मौर्य को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहती थी, क्योंकि इससे एक दूसरे सशक्त दावेदार योगी आदित्यनाथ के साथ अन्याय होगा.
दरअसल, आज से एक साल पहले जब भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना था, तो उस वक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने योगी आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा था.
लेकिन तब प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश में बड़ी तादाद में ओबीसी वोटरों का हवाला देकर योगी की प्रदेश अध्यक्ष पद की ताजपोशी रोक दी थी.
दूसरे उस वक्त ब्राह्मण अध्यक्ष को हटाकर ठाकुर अध्यक्ष को लाने का मतदाताओं में गलत संदेश भी जाने का डर था. साथ ही ब्राह्मण वोटों को लेकर आस लगाए बैठी मायावती इस मुद्दे को जोरशोर से उठाती.
बहराल, अमित शाह ने इस बार अपने एक साल पुराने फॅारम्यूले को आगे करने में जरा भी देर नहीं की और उन्होंने ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी का नाम आगे कर दिया.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी आदित्यनाथ की छवि और लोकप्रियता इतनी जबरदस्त है कि यूपी के सीएम के लिए योगी आदित्यनाथ पर संघ से लेकर प्रधानमंत्री मोदी और विधायकों, सभी की मुहर लगती चली गई.