https://www.youtube.com/watch?v=Sagi0o-d7XU
मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया.
शायद देव साब की जिंदगी का फलसफा भी यही था. तभी तो जब तक जिए जिंदादिली के साथ. कभी इस बात को नहीं सोचा कि कौन क्या कहता है. अपने बैनर नवकेतन के तले उन्होंने एक से बढ़कर एक फ़िल्में निर्देशित की. उम्र के साथ साथ सफलता uनसे दूर होती गयी लेकिन देव साब ने फ़िल्में बनाना नहीं छोड़ा. उनका कहना था कि जो फिल्मों से कमाया वो अगर फिल्मों में गँवा भी दिया तो क्या गम.
देव साब जैसे लोग बिरले ही होते है जो बरबादियों का जश्न मानते हुए हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाते चले जाते है, और दे जाते है हसीं यादें.
आज देव आनंद साब के जन्मदिन पर हम उनको श्रद्धांजलि नहीं देते हम देव साब को सलाम करते है क्योंकि देव मरा नहीं करते.
सलाम देव साब.