अनोखी शादी – शादी में दुल्हा तो बारात लेकर आता है, लेकिन क्या कभी सुना है कि दुल्हन बारात लेकर आई है.
शायद नहीं, लेकिन बदलते वक्त के साथ ये बदलाव हुआ है और ऐसा हुआ है मध्यप्रदेश के सागर शहर में. इस छोटे से शहर की एक लड़की ने जो काम किया है वो हर किसी के लिए मिसाल बन गया.
इस लड़की ने अनोखे ढंग से शादी की जहां दुल्हे के साथ ही वो खुद भी बारात लेकर पहुंच गई और दुल्हा-दुल्हन बारात लेकर शादी के मंडप तक साथ पहुंचे.
अनोखी शादी ने शादी से जुड़ी सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ा है आकांक्षा साहू ने जो मध्यप्रदेश के बिजली विभाग में असिस्टेंट मैनेजर हैं. ऐसे में उन्हें इंजीनियर दुल्हन कहना गलत भी नहीं होगा. आकांक्षा की बारात किसी सपनों की बारात से कम नहीं थी. उसमें डीजे, बैंड-बाजे, नाच-गाना, दूधिया रोशनी, बग्घी और वो सब कुछ था जो किसी शानदार बरात में होना चाहिए. उनके पिता ने अपनी बेटी के इस खास मौके को खूबसूरत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
एक ही मंडप पर दुल्हन आकांक्षा और उनके हमसफर अभिषेक की बारातें पहुंची थीं. ये शायद सागर में पहला मौका था, जब दूल्हा और दुल्हन दोनों बरात लेकर आए थे. आमतौर पर शादियों में दुल्हन शर्माती हुई मंडप तक पहुँचती है मगर इस शादी में नजारा ही कुछ और था. जब बारातें मंडप के बाहर पहुंचीं तो एक और परंपरा को तोड़ते हुए दुल्हन ने दूल्हे के साथ जमकर डांस किया.
आकांक्षा की बारात निकालने का सपना जनपद पंचायत में सब-इंजीनियर उनके पिता रमेश कुमार साहू का था. वे हमेशा आकांक्षा से कहा करते थे कि वे इस तरह उनकी शादी करेंगे. आकांक्षा ने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा वाकई मुमकिन है क्योंकि शादी एक परिवार का नहीं बल्कि दो परिवारों का मेल होती है. आकांक्षा जिस परिवार की दुल्हन बनी, उस परिवार से भी उनके पिता को पूरा साथ मिला. जब आकांक्षा के पिता ने उनके सामने ये बात रखी, वे इसके लिए ख़ुशी-ख़ुशी राजी हो गए.
आकांक्षा के समाज में लोग चाहते थे कि रमेश कुमार के घर एक बेटा हो मगर भगवान ने उन्हें तीन बेटियां नवाजीं. आज भी समाज में बेटियों को बेटों के मुकाबले कमजोर समझा जाता है मगर उन्होंने अपनी बेटियों को कभी कमजोर नहीं समझा. उन्होंने अपनी बेटियों की परवरिश बेटों की तरह ही की है. उनका मानना है कि जब मेरी बेटी किसी लड़के से कम नहीं है तो उसकी बारात निकालने में क्या हर्ज़ है? वे अपनी बाकी दो बेटियों की शादी भी इसी तरह करना चाहते हैं.
आकांक्षा की माँ कहती हैं कि आजकल के बेटे सेटल हो जाने पर अपने माँ-बाप की इज्जत करना छोड़ देते हैं, उन्हें वृद्धाश्रम भेज देते हैं, मगर उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है क्योंकि वो किसी भी मामले में एक आदर्श बेटे से कम नहीं है. वे बहुत खुशकिस्मत हैं कि उन्हें आकांक्षा के जैसी बेटी मिली. ये एक शादी ही नहीं बल्कि मिसाल है जो हमें एक नहीं कई सबक सिखाती है.
ये है अनोखी शादी – यदि समाज में सब बेटियों को बराबर का दर्जा देने लगे तो वो दिन दूर नहीं कि जब लड़कियां लड़कों से हर मामले में आगे होंगी.