इस शिवलिंग की प्रसिद्धि सुनकर महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी.
सब तरह से प्रयास करने के बाद महमूद गजनवी और उसके सैनिक इस शिवलिंग को तोड़ नहीं सके. अंत में थक हार कर गजनवी ने इस शिवलिंग पर कुरान का पवित्र कलमा “लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ ” लिखवा दिया ये सोचकर कि अब हिन्दू इसकी पूजा नहीं करेंगे.