जब हम किसी का कुछ बिगाड़ नहीं पाते तो उसे श्राप दे देते है, फिर चाहे सामने वाले पर श्राप का असर हो या ना हो.
अपने क्रोध को जाहिर करने के लिए श्राप एक आसान तरीका बना हुआ है. लेकिन क्या आप जानते है कि युगों पहले जब धरती पर देवता विचरते थे तब से श्राप का चलन है. जब देवता श्राप देते थे तो वे श्राप हकीकत बन जाते थे. उनमें से कुछ श्राप ऐसे थे, जो अजीबो गरीब श्राप थे और आज इतिहास बन चुके है.
तो चलिए, ऐसे ही चंद अजीबो गरीब श्राप के बारे में आपको बताते है, जिन्हे हम आज भी देख रहे है.
1. इस श्राप की वजह से भगवान शिव को एक लिंग के रूप में पूजा जाने लगा
एक बार ऋषि भृगु भगवान शिव से मिलने के उद्देश्य से कैलाश पर्वत पर गए. उन्होंने शिव के घर का दरवाजा खटखटाया, मगर किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया. इसकी वजह यह थी कि शिव पार्वती संग संभोग कर रहे थे और इसी वजह से दरवाजा नहीं खोल पाए. बाबा भृगु की बेचैनी बढ़ती गई और वे दरवाजे को जोर जोर से पीटने लगे.
कुछ देर बाद जब शिव ने दरवाजा खोला तो पार्वती भी उनके साथ ही खड़ीं थीं. बाबा भृगु को इस बात पर गुस्सा आ गया कि शिव उन जैसे एक महान ऋषि का स्वागत करने की बजाए संभोग को प्राथमिकता दे रहे थे और तब उन्होंने शिव को श्राप दिया कि कोई भी शिव को असली रूप में नहीं पूजेगा. उनकी हमेशा लिंग के तौर पर ही पूजा की जाएगी.
2 . इस श्राप की वजह से रामायण और महाभारत हुए
इतिहास में असुरों और देवों के बीच कई लड़ाइयां हुईं थीं, जिनमे ज्यादातर असुरों की होती थी. देवताओं से जीत हासिल करने के लिए असुरो के गुरु शुक्राचार्य को एक समाधान सूझा – मृतसंजीवनी स्तोत्रम नामक एक मंत्र को पाना, जो असुरों को अजेय बना सकता था. शुक्राचार्य ने तपस्या के जरिए मृतसंजीवनी मंत्र हासिल करने का मन बन लिया और तपस्या के लिए भगवान शिव के निवास के बाहर आसन लगा लिया. शुक्राचार्य ने अपने असुर शिष्यों को आदेश दिया कि वे उनके पिता – भृगु के आश्रम में जाकर आराम कर लें.
देवों को मालूम था कि असुर आश्रम में तपस्वी के तौर पर रह रहे हैं और उनके पास हथियार भी नहीं हैं. सारे देवता असुरों को मारने निकल पड़े. देवो से बचने के लिए असुरो ने भृगु की पत्नी से सुरक्षा की मांग की. भृगु की पत्नी इतनी ताकतवर थी कि उसने इंद्र को स्थिर कर दिया. देव डर गए और भागे-भागे भगवान विष्णु के पास जा पहुंचे. विष्णु जी ने देवताओं से कहा कि अगर वे बचना चाहते है तो उनके शरीर में प्रवेश कर जाए. इस बात पर भृगु की पत्नी भड़क उठी और विष्णु को धमकाया कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें इसका अंजाम भुगतना पडेगा.
इस पर विष्णु को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से महिला को मार डाला.
जब भृगु ने सुना कि उनकी पत्नी को मार डाला गया है तो वे आगबबूला हो गए. इसलिए, उन्होंने विष्णु को श्राप दिया – कि उन्हें धरती पर कई बार जन्म लेना होगा और जन्म व मरण के चक्रों को झेलना होगा. इसी वजह से विष्णु कई अवतार लेकर धरती पर आए और इन्हीं बातो पर रामायण व महाभारत के महाकाव्यों की रचना की गई।
3 . वो श्राप जिसकी वजह से कुत्ते संभोग के बाद भी जुड़े रहते हैं
रानी द्रौपदी 5 पांडव पतियों की साझी पत्नी थी. द्रौपदी संग अंतरंग समय बिताने के लिए पांडवों ने एक गजब का तरीका खोज निकाला था, जिससे कि उन्हें एक दूसरे से उलझन न हो. यह तय किया गया कि जब भी कोई भाई द्रौपदी के कमरे में दाखिल हो, तो वह दरवाजे पर ही अपनी जूतियां उतार दे, ताकि बाकी लोगों को भी यह पता चल जाए कि द्रौपदी अकेली नहीं है. एक दिन एक भाई बाहर दरवाजे पर अपनी जूतियां उतारकर तो भीतर चला गया. मगर वहां से गुजर रहा एक कुत्ता खेल-खेल में वहां रखी जूतियां उठाकर ले गया. ठीक उसी वक्त दूसरा पांडव भाई, जो द्रौपदी संग वक्त बिताना चाहता था, यह देखकर कि दरवाजे पर कोई जूती नहीं है, यह मान बैठा कि वह अकेली है. इससे एक शर्मनाक स्थिति बन गई, जिसने द्रौपदी को नाराज कर दिया. द्रौपदी को एहसास हुआ कि यह सब एक कुत्ते की वजह से हुआ है, जिसकी वजह से उसे बेहद शर्मिंदगी झेलनी पड़ी और तब जाकर उसने सभी कुत्तों को श्राप दिया कि वे भी उसी की तरह शर्म का सामना करेंगे जैसे द्रोपदी को करना पड़ा. तब से सम्भोग के बाद कुत्ते एक दूसरे से जुड़े रहते है.
4 . एक ऐसा श्राप जिसकी वजह से सभी औरतें गप्पें मारती हैं
वैसे तो हम सभी को कर्ण की कहानी मालूम है. फिर भी हम बता दे कि पांडवों को नहीं मालूम था कि कर्ण उन्हीं का सगा भाई था. जब अर्जुन ने कर्ण को मार दिया तो कुंती ने पांडवों के सामने कर्ण के माता-पिता का रहस्य उजागर किया. युद्धिष्ठिर, जिनके बारे में माना जाता है कि वो सदा सच बोलते थे, यह सच्चाई सुनकर आगबबूला हो गए और पूरी औरतजात को यह श्राप दे बैठे – भविष्य में कोई भी औरत किसी भी रहस्य को पचा पाने में कामयाब नहीं हो पाएगी. तब से देखा गया है कि चुगली करने में या बातो को बढ़ा चढ़ाकर बताने में ज्यादातर संख्या महिलाओं की है.
ये वो अजीबो गरीब श्राप है जिन्हे वेद पुराणों में लिखा गया है.
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