फिल्मी किरदार – फिल्मों में कहानियों के अलावा जो दिल में जगह बना जाते हैं वो होते हैं कुछ ख़ास किरदार|
ऐसे फिल्मी किरदार जो बरसों बरस बीत जाने पर भी हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा रहते हैं, हमें हँसाते हैं, रुलाते हैं, हमारे अपने बन जाते हैं|
आईये फिर से मिलवाएं ऐसे ही कुछ फिल्मी किरदार से:
फिल्मी किरदार –
१) गब्बर, बसंती, जय-वीरू, मौसी, ठाकुर, साम्बा, कालिया
इतने सारे किरदार और वो भी एक ही फिल्म से! इसे कहते हैं कमाल की लेखनी जिसे सलीम-जावेद ने फिल्म शोले से अमर बना दिया| आज भी इन किरदारों को हम रोज़ अपनी ज़िन्दगी में कहीं ना कहीं देखते हैं, जीते हैं चाहे वह टीवी सीरियल में हों या रेडियो की एड में या किसी स्टेज शो पर!
२) परिमल त्रिपाठी
हृषिकेश मुखेर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म चुपके-चुपके के परिमल त्रिपाठी को भला कौन भुला सकता है! धर्मेन्द्र और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने इस किरदार को हमारे जीवन का हिस्सा बना दिया है| आज भी टीवी पर यह फिल्म देख के चैनल बदलने को दिल नहीं करता|
३) मोगाम्बो
अमरीश पूरी की भारी-भरकम आवाज़ से सुसज्जित फिल्म मिस्टर इंडिया का मोगाम्बो आज भी दुनिया में अपनी एक अलग जगह बनाये बैठा है! भाई विलेन हो तो मोगाम्बो जैसा, वरना ना हो! फिल्म के हीरो अनिल कपूर से शायद किसी ने इतना प्यार नहीं किया होगा जितना कि मोगाम्बो से किया! तभी तो मोगाम्बो खुश हुआ!!!
४) मुन्नाभाई-सर्किट
संजय दत्त भले ही जेल में हों और सर्किट यानि अरशद वारसी उनसे जुदा, लेकिन इस मुन्नाभाई-सर्किट की जोड़ी को आनेवाली कई नस्लें भी भुला नहीं पाएँगी! सड़कछाप गुंडों से कोई इतना प्यार कर सकता है, यह हमें पता नहीं था!
५) विजय दीनानाथ चौहान
..पूरा नाम! हईं? जाने कितने बच्चे और जवान अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ के इस डायलाग को बोलते हुए बढ़े हुए और आज की पीढ़ी को ह्रितिक रोशन ने यह रट्टा लगवा दिया है| बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाने वाले इस किरदार ने बहुतों को उम्मीद दिलाई है|
ऐसे ही और भी बहुत किरदार हैं जो भुलाये नहीं भूलते| पर दुःख इस बात का है कि आज की फिल्मों में ना तो वैसी कहानियाँ होती हैं और ना ही वैसे किरदार जो सालों साल याद रह जाएँ| अब तो बस फिल्म आती है, 200-300 करोड़ कमाती है और फिर परदे से ही नहीं, हमारे दिल-ओ-दिमाग से भी गायब हो जाती है!
ये है न भूलनेवाले फिल्मी किरदार – आशा है कि ज़बरदस्त दिल को छू लेने वाले किरदारों का दौर फिर से लौट आये! ब्लैक में टिकट लेकर देखेंगे फिल्म, क्यों है ना?