यूनेस्को का नाम लगभग हम सभी ने सुन रखा होगा, लेकिन फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूनेस्को, यूनाइटेड नेशन (संयुक्त राष्ट्र) एक संस्था है जो शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान तथा संचार के माध्यम से लोगों के हित तथा विश्व में शान्ति कायम करने का काम करती है।
सबसे पहले यूनेस्को की कार्य प्रणाली के बारे में बात करें तो यूनेस्को दुनिया भर में उन स्थलों की पहचान करती है, जिसे मानवता के उत्कृष्ट मूल्यों वाला माना जा सकता है. इसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित तथा मिश्रित तीनो तरह के स्थल शामिल होते हैं. ऐसी विश्व धरोहरों को प्रोत्साहन देने का जिम्मा यूनेस्को पर होता है.
इन धरोहरों को सूची में जोड़ कर अंतरास्ट्रीय संधियों और कानूनों के जरिये संरक्षण दिया जाता है.इसके अलावा यूनेस्को का दूसरा प्रमुख कार्यक्रम है “अन्तराष्ट्रीय साक्षरता दिवस” यह यूनेस्को के मुख्य शैक्षिक कार्यक्रमों में से एक है, विश्व साक्षरता दिवस. जिसे हर साल 8 सितम्बर को आयोजित होता है. इस दिन शिक्षा के महत्व पर जोर दिया जाता है. विकास शील देश में लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, स्कूलों को प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना इत्यादि इस एजेंसी के प्रमुख काम है।
लेकिन विश्व विरासत के तहत भारत के बारे में बात करें तो अब तक संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भारत की 36 साइट्स को विश्व विरासत के रूप में घोषित किया जा चूका है मतलब अब इन इमारतों का संरक्षण भारत सरकार के साथ-साथ यूनेस्को भी करेगा।
इनमे साइट्स में जो चर्चित नाम है उनमे हमारा ताजमहल, लालकिला, खजुराहो का चंदेलकालीन कंदरिया महादेव मंदिर, भीम बैठिका की मध्यकालीन प्राचीन गुफाये, तथा भारत का महान कुम्भ मेला जैसी अजब गजब चीजे शामिल है।विश्व विरासत की इस सूची में आखिरी नाम है अहमदावाद का प्राचीन शहर जिसे इस सूची में शामिल होने का गौरव मिला है। यह शहर 1411 में बसाया गया था जो ओल्ड अहमदाबाद के नाम से भी जाना जाता है।
लेकिन दूसरी ख़ास बात यह है कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने 6 ऐसी साइट्स खोजी है जो इस सूची में शामिल होने की काबिलियत रखती है। ये हैं-
- असम के अहोम राजवंश के शवाधान केंद्र जिन्हें मोइदम्स भी कहा जाता है।
- नामदफा नेशनल पार्क
- माजरू द्वीप
- थेम्वांग – अरुणाचल प्रदेश का दुर्गीकृत गाँव
- आपातानी संस्कृतिक भू-परिद्रश्य
- पूर्वोत्तर की साड़ी बुनने की कला
अगर ये साइट्स यूनेस्को अपनी सूची में शामिल कर लेता है तो हिन्दुस्तान के लिए यह बड़े गौरव की बात होगी। क्योंकि भरात के साथ-साथ इनका संरक्षण विश्व स्तर पर किया जा सकेगा तथा अभी जो खर्च सरकार को वहन करना पड़ता है वो फिर यूनेस्को के साथ भी बांटा जा सकेगा।
एक दूसरी बात भी बता दें कि जिस तरह यूनेस्को विश्व विरासत तथा नायब चीजो को बचाने के लिए पहल करता है उसी तरह ब्रिटिश संसद भी भारत में उपनिवेश के दौर की इमारतों जैसे वायसराय हाउस अथवा राष्ट्रपति भवन जैसी इमारतों को संरक्षण प्रदान करने के लिए पहल करती है तथा हर साल एक निश्चित राशि भी इन इमारतों के संरक्षण के लिए भेजती है।