परीक्षा का दबाव – कहते हैं कि जीवन में हार जीत तो लगी रहती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं की जीवन ही बदल जाए.
हाँ, हार के बाद थोड़े दिन की तकलीफ तो रहती ही है लेकिन जल्द ही मेहनत करके उस हार को जीत में बदला जा सकता है.
आजकल परीक्षा का दबाव बच्चे कुछ इस कदर ले रहे हैं कि एग्जाम के कुछ दिन बाद से ही बच्चों की मरने की खबरे आने लगती हैं.
ऐसी खबरें माँ बाप को तोड़ देती हैं. ऐसी ही एक खबर आई है, जिसने भगवान् को भी हैरान करके रख दिया है. असल में इस लड़के ने फेल होने के बाद किया ही कुछ ऐसा की खुद भगवान् भी दुखी हो गए.
ये खबर है उत्तर प्रदेश की.
उत्तर परदेश के बलिया जिले का रहने वाला एक लड़का ऐसा कर दिया की खुद ही खबर बन गया.
अक्सर कई छात्र परीक्षा में फेल होने या फिर कम नंबर आने से हताश होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के जमुई गांव में एक छात्र ने इंटमीडिएट की परीक्षा खराब होने के बाद से शिवलिंग पर अपना सिर पटक लिया.
उसने महज़ ये इसलिए किया क्योंकि उसका पेपर खराब हो गया.
इस तरह की बेवकूफियों से लड़के अपना नहीं बल्कि पुरे परिवार का जीवन नरक कर देते हैं.
खबरों के मुताबिक़ लड़का पेपर देकर आया और दुखी था. वो पास के ही एक मंदिर में जा पहुंचा. वहां उसने शिवलिंग पर ही अपना सर पटकना शुरू कर दिया. जिससे वह काफी बुरी तरह जख्मी हो गया. सुबह कुछ ग्रामीणों ने उसे मंदिर के नजदीक बेहोश हालत में देखा तो उसके परिवार को खबर दी.
परिवार वाले लड़के को इस अवस्था में देखकर उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गए.
उस ज़ख़्मी लड़के को परिवार वाले सदर अस्पताल ले जाया गया जहां से उसकी खराब हालत देखकर उसे वाराणसी रेफर कर दिया गया.
जानकारी के अनुसार 20 साल का छात्र अनिल पिछले साल इंटर में फेल हो गया था जिसके बाद से उसे दोबारा फेल होने का डर सता रहा था. इस साल भी वह इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहा है लेकिन सख्ती होने से वह इस बार भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया है. ऐसे में वह देर रात घर से बिना बताए शिव मंदिर पहुंच गया जहां उसने परीक्षा का दबाव में तनाव में आकर शिवलिंग और मंदिर की चौखट पर अपना सिर पटकना शुरु कर दिया और बुरी तरह जख्मी हो गया.
पढ़ाई का ये प्रेशर और परीक्षा का दबाव आजकल के युवाओं का जीवन ही नरक बना दे रहा है.
ये कहानी सिर्फ इस लड़के की नहीं है, बल्कि परीक्षा का दबाव में हमारे यहाँ हर साल ऐसे सैकड़ों बच्चे अपनी जान गंवाते हैं.
उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं रहता कि उनके जान एके बाद उनके परिवार वालों पर क्या गुजरेगी. बस, पढ़ाई के डर से वो अपना जीवन ही ख़त्म कर लेने की सोचते रहते हैं. अब इस लड़के को पढाई में नहीं रूचि थी तो परिवार वालों से कह देना चहिये था, इस तरह से जीवन ख़त्म करना कहाँ की समझदारी है.
अगर आपके आसपास इस तरह की घटना हो रही है तो उसे रोकें और ऐसे बच्चों को समझाएं. जीवन से बढ़कर पढ़ाई नहीं है.
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