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आखिर क्यों इस देश में छोटे-छोटे बच्चों को दी जा रही हैं सेना की ट्रेनिंग !

बच्चों को सेना की ट्रेनिंग – युद्ध का नाम सुनते ही हर किसी के जहन में विनाश की दर्दनाक तस्वीरें उभरने लगती हैं. दुनिया के तकरीबन सभी देश अपने सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण और ट्रेनिंग मुहैया कराते हैं ताकि युद्ध जैसे हालात पैदा होने पर सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा कर सकें.

सैनिकों के अलावा देश की सेना में खतरनाक बंदूके, मिसाइलें और आधुनिक हथियार भी शामिल होते हैं. हर देश की सीमा पर तैनात सैनिक अपने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व लुटाकर सरहद की रखवाली करते हैं.

ऐसे में जरा सोचिए खिलौनों से खेलनेवाले नन्हें-नन्हें हाथों में अगर बड़े-बड़े हथियार थमा दिया जाए और छोटे बच्चों के कंधों पर देश की रक्षा का जिम्मा सौंप दिया जाए तो क्या होगा?

जाहिर है इसे एक बचकानी हरकत ही कहा जाएगा लेकिन ये सच है दुनिया के नक्शे पर एक ऐसा देश भी हैं जहां छोटे-छोटे बच्चों को दी जा रही है सेना की ट्रेनिंग.

9 से 13 साल के बच्चों को सेना की ट्रेनिंग

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक यूक्रेन में 9 साल से लेकर 13 साल के बच्चों को सेना की ट्रेनिंग दी जा रही है. जी हां, खेलने-कूदने की उम्र में उन्हें अनुशासन, देश भक्ति और बंदूक चलाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है.

यहां बच्चों को युद्ध के वो सारे गुर सिखाए जा रहे हैं जो एक सैनिक को सिखाया जाता है जैसे- हमले के दौरान कैसे बचा जाए, क्या खाया जाए, दुश्मन पर हमला कैसे किया जाए वगैरह-वगैरह.

इन छोटे बच्चों को सेना की ट्रेनिंग देने के लिए बकायदा यूक्रेन के स्वयंसेवी संस्था अजोब ने आर्मी कैंप भी लगाया जिसमें करीब 850 बच्चों ने हिस्सा लिया.

लोग कर रहे हैं इसका जमकर विरोध

छोटे-छोटे बच्चों के हाथों से खिलौने छीनकर बंदूक थमा देने वाले कैंप का यहां की जनता जमकर विरोध भी कर रही है. लोगों का कहना है कि छोटी सी उम्र में बच्चों के साथ आर्मी ट्रेनिंग के नाम पर किया जानेवाला यह बर्ताव उन्हें रास्ते से भटका सकता है और वो हिंसक हो सकते हैं.

जनता द्वारा विरोध किए जाने पर इस तरह से समर कैंप लगानेवाली संस्था अजोब ने दलील दी है कि जब देश पर युद्ध का खतरा मंडरा रहा हो तो ऐसे में बच्चों को शांति का पाठ नहीं पढ़ाया जा सकता.

यूक्रेन और रूस के बीच है तनाव का माहौल

दरअसल यूक्रेन और रुस के बीच क्रीमिया को लेकर विवाद है. यूक्रेन क्रीमिया को अपना हिस्सा बताता है लेकिन 3 साल पहले रुस के समर्थकों ने क्रीमिया के सरकारी भवनों और संसद पर कब्जा कर लिया था. जिसे हटाने के लिए यूक्रेन के सुरक्षाबल आए तो रूस की आर्मी उनके बचाव के लिए आगे आ गई.

गौरतलब है कि पिछले तीन सालों में हुई झड़पों में अब तक यूक्रेन के 10 हजार से भी ज्यादा सैनिक और नागरिक मारे जा चुके हैं यही वजह है कि इस देश में नन्हें-नन्हें बच्चों के हाथों में हथियार थमाकर उन्हें सेना की ट्रेनिंग दी जा रही है.

 

Anita Ram

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