टू फिंगर टेस्ट – जब किसी महिला के साथ रेप होता है तो यह इतना दर्दनाक होता हैं कि उस महिला के अलावा शायद ही कोई उस दर्द का एहसास कर सके। अपनी शारीरिक भूख को पूरा करने या गंदी मानसिकता के कारण कुछ लोग ऐसे कुकर्म करते हैं जो किसी महिला की सारी जिंदगी बर्बाद कर देता है।
बलात्कार के बाद भी पीड़िता को ऐसी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता हैं जो बहुत ही पीड़ादायक होता है। बलात्कार के बाद महिला का जो मेडिकल परीक्षण होता हैं उसे टू फिंगर टेस्ट कहते हैं। यह टेस्ट बलात्कार से भी ज्यादा दर्दनाक होता है। इसके बारे में कहते हैं कि रेप शारीरिक उत्पीड़न हैं तो यह टेस्ट मानसिक उत्पीड़न।
इसके बावजूद ये टू फिंगर टेस्ट को कराया जाता है।
क्या है टू फिंगर टेस्ट –
यह कौमार्य परीक्षण का एक तरीका जो पूरी तरह से साइंटिफिक नहीं है। इसमें डॉक्टर महिला के योनि में अंगूली डालकर यह पता करते हैं कि उसके साथ रेप हुआ हैं या नहीं। डॉक्टर का मानना है कि जबरदस्ती से किए गए संभोग में अंदर का हाइमन टूट जाता हैं जबकि सहमति के आधार पर ऐसा नहीं होता।
रिपोर्ट पर सवाल –
सैकड़ों साल पुराने इस टू फिंगर टेस्ट को लेकर सवाल उठते रहे हैं। खुद कोर्ट भी इस मामले में मदभेद रखता है। कभी कोई कोर्ट इसे लागू कर देता हैं तो कभी इसपर बैन लग जाता है। कई बार तो इस रिपोर्ट पर भी सवाल उठ जाते हैं क्योंकि सहमति से किए गए सेक्स में भी कई बार इसे टूट जाने का खतरा रहता हैं।
मेडिकल टेस्ट के बहाने यह महिला को रेप के बाद दिया जाने वाला टू फिंगर टेस्ट सबसे खतरनाक उत्पीड़न है। एक बार रेप होने के बाद यह एक तरह से दूसरी बार रेप के बराबर है। इसके बावजूद इसपर सरकार कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम है।
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