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भारत का अद्भुत और अविश्वसनीय गाँव, यहाँ पैदा होते हैं सिर्फ जुड़वाँ बच्चे !

जुड़वाँ बच्चों का गाँव

जुड़वाँ बच्चों का गाँव – अब आप खुद सोचिये कि वह नजारा कितना अद्भुत और अविश्वसनीय होगा जब आप कहीं जायें और आपको हर जगह जुड़वाँ लोग नजर आते रहें.

बोलिए है ना मजेदार बात?

लेकिन अब आप बोलेंगे कि ऐसा नजारा धरती पर कम ही देखने को मिलता है, तो ऐसा बिलकुल नहीं है.

आपको अगर हर घर में जुड़वाँ बच्चे देखने का दिल हो रहा है तो केरल के मल्लापुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गाँव, जुड़वाँ बच्चों का गाँव, में चले जायें.

यह गाँव जुड़वाँ बच्चों का गाँव है, विश्वभर में जुड़वाँ बच्चों के लिए ही मशहूर है. कहते हैं कि यहाँ की औरतें अगर इस गाँव में बच्चे को जन्म देती हैं तो जुड़वाँ बच्चे ही पैदा होते हैं और अगर गाँव से बाहर चली जाती हैं तो नार्मल एक बच्चा पैदा होता है.

जब सरकार ने रिसर्च कराई 

इस गाँव में जुड़वाँ बच्चे तो सालों से पैदा हो रहे थे लेकिन हाल ही में सरकार ने हकीकत जानने के लिए अपना सर्वें कराया. सर्वे में लिखा गया है कि इस गाँव में लगभग 2,000 परिवार रहते हैं और सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस गांव में 250 जुड़वां बच्चे हैं !

वहीँ दूसरी और कुछ निजी संस्थाओं ने जब यहाँ सर्वें कराया तो आकड़ें कुछ अलग नजर आये. इस सर्वें के अनुसार  इस गाँव में 350 से अधिक जुड़वां बच्चे हैं. एक अनुमान के अनुसार, भारत में, प्रति 1000 बच्चों में 4 जुड़वां बच्चे होते हैं. लेकिन यहाँ कोडिन्ही में 1000 पर यह आंकड़ा 45 है. यह औसत पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर है, परन्तु एशिया में यह पहले नंबर पर आता है.

जुड़वाँ बच्चे

अब गाँव में तीन बच्चे भी पैदा होने शुरू हो गये हैं

तो अभी जहाँ गाँव में एक बार में दो बच्चों का जन्म हो रहा था वहीँ अब कुछ केस ऐसे भी नजर आ रहे हैं कि एक बार में तीन बच्चों का जन्म हो रहा है. आपको यहाँ गली-गली में जुड़वां बच्चे नजर आ जायेंगे. कुछ जुड़वाँ तो अब 70 की उम्र में पहुँच चुके हैं. स्कूल के अन्दर इस समस्या से अध्यापक को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जुड़वाँ बच्चे

टूरिस्ट और रिसर्च स्थान

जुड़वाँ बच्चों का गाँव – कोडिन्ही गाँव इस वजह से आज टूरिस्ट स्थान भी बन चुका है और बाहर के देशों से काफी संख्या में यहाँ पर रिसर्च टीम भी आती रहती हैं. आज तक कोई भी यहाँ जुड़वाँ बच्चे पैदा होने की सही वजह नहीं बता पा रहा है.

विज्ञान के लिए वजह कुछ भी हो लेकिन इंसान सामान्य भाषा में इसको ईश्वर का चमत्कार की मानते हैं और सही अर्थों में यह प्रकृति और ईश्वर का ही चमत्कार है.