ट्विंकल खन्ना को कौन नहीं जानता?
अक्षय कुमार की पत्नी, राजेश खन्ना और डिम्पल कपाड़िया की बेटी, और एक समय की मशहूर, चाहे फ़्लॉप ही सही, एक्ट्रेस!
लेकिन यह मत समझिए कि मैडम दिमाग़ से पैदल हैं!
जी नहीं, बहुत ही तेज़ दिमाग़ वाली हैं ट्विंकल और उनके ह्यूमर का एक अपना ही रंग है जिसे वो मस्ती के तड़के के साथ सबके सामने पेश करती हैं!
अख़बारों के लिए आर्टिकल लिखती हैं और उनका पेन नाम हैं, मिसिज़ फ़न्नीबोंस!
अगर कभी आप उनके आर्टिकल पड़ेंगे तो जानेंगे कि गंभीर से गंभीर मुद्दे को कैसे आसानी से हँसते-हँसाते सबके सामने पेश करना है और वो भी अपने तीखे कटाक्षों के द्वारा, कोई इन से सीखे! इसी को जारी रखते हुए हाल ही में ट्विंकल ने मिसिज़ फ़न्नीबोंस के नाम से अपनी किताब भी छपवायी है जो अब बाज़ार में उपलब्ध भी है!
यह सब तो अच्छा है लेकिन जो बात मुझे यहाँ खटकी वो यह कि एक इंटरव्यू के दौरान ट्विंकल ने कहा कि उनके हर आर्टिकल को पहले अक्षय कुमार पढ़ते हैं और फिर उनकी सहमति के बाद ही वो आर्टिकल छापने के लिए भेजा जाता है| और इस प्रक्रिया के दौरान अक्षय ने तीन बार उनसे ‘पाकिस्तान’ शब्द को काटने के लिए कहा और एक बार आदमियों के ‘गुप्तांग’ को उनके आर्टिकल्स में से!
आख़िर क्यों?
सिर्फ इसलिए कि कोई विवाद न हो या इसके पीछे यही धारणा है कि मर्द होने के नाते मैं अपनी पत्नी का पूरा साथ दूंगा, सपोर्ट करूँगा लेकिन उसे करना वही होगा जो मैं चाहता हूँ!
अक्षय ऐसे आदमी लगते तो नहीं हैं लेकिन जब मामला पति-पत्नी का हो तो कुछ कहा नहीं जा सकता!
और फिर ट्विंकल का क्या?
अगर एक लेखिका के नाते वो कुछ कहना चाहती हैं, समाज में कोई बात रखना चाहती हैं तो उसके लिए पति की अनुमति क्यों?
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, विवाद ना? लेकिन विवाद से डरकर एक लेखक अगर अपने विचारों की शुद्धता के साथ समझौता करने लगेगा तो फिर उसकी लेखकी का भविष्य रोशन नहीं है!
और फिर यह बात सिर्फ़ एक लेखक तक ही सीमित नहीं है| यही हाल तो पिछड़े समाज की या पढ़े-लिखे-समाज की औरतों का भी है जहाँ वो हर काम पति की मंज़ूरी के साथ करती हैं| कोई सपोर्ट का नाम देता है, कोई कहता है कि पति उनके सबसे बड़े क्रिटिक हैं या कोई और बहाना! ट्विंकल समाज के जिस मुकाम पर हैं, जहाँ कई लड़कियाँ उन्हें अपना आइडल समझती होंगी, उनके लिए ट्विंकल को सही उदाहरण पेश करना होगा! अगर वो यह दिखाएँगी कि पति की अनुमति के बिना वो कुछ नहीं करतीं तो बाक़ी महिलाएँ तो शायद कोशिश भी ना करें अपनी ज़िन्दगी अपनी शर्तों पर जीने की!
देखो मुझे तो बहुत मज़ा आता है ट्विंकल के लिखे आर्टिकल पढ़ने में और ज़ाहिर है उनकी किताब भी ख़ास ही होगी!
उम्मीद है कि आगे से हमें वो पढ़ने को मिले जो उनका दिल कहता है, जो उनकी आवाज़ है, जिस पर उनके पति का कोई अंकुश ना, कोई रोक-टोक ना हो!
तब लगेगा भारतीय नारी की एक आइडल, सच में वो जीवन जी रही है जो वो जीना चाहती है!
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