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बंदरों की मौत पर जापान में क्यों हुई श्रृद्धांजली सभा

बंदरों कों श्रृद्धाजंली

आपने अक्सर सुना होगा कि लोग अपने परिजनों के मरने पर उनकी आत्मा की शांति के लिए हवन करतें हैं और उनकों श्रृद्धांजली देते हैं.

लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि लोगों ने बंदरों के मरने पर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रृद्धांजली सभा का आयोजन कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. वह भी जापान जैसे देश में.

बंदरों की सामूहिक मौत पर बंदरों कों श्रृद्धाजंली की बात अगर भारत के संबंध में होती तो लोग समझ सकते थे, क्योंकि भारत में बंदरों को हनुमान का रूप मानकर उनको पूजा जाता है.

लेकिन यहां बात जापान में बंदरों कों श्रृद्धाजंली देने की है, इसलिए लोगों को आश्चर्य होता है.

दरअसल, बात कुछ इस प्रकार है कि जापान के एक चिड़ियाघर ने 57 बंदरों में आक्रमक जीन पाए जाने पर उन्हें घातक इंजेक्शन देकर मौत के घाट उतार दिया.

इसको लेकर जानवरों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले कई कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया. तो वहीं जापान के चिड़ियाघर के संचालक को भी बदंरों को मारना अच्छा नहीं लगा. उनका मन भी इसको लेकर कहीं न कहीं भीतर ही भीतर उनको कचोट रहा था. लेकिन उनके पास कोई दूसरा चारा भी नहीं था. उन्होंने ये कदम मजबूरी में उठाया था.

लिहाजा,जापान के चिड़ियाघर के संचालक ने इसका प्राश्चित करने के लिए एक बौद्ध मंदिर के पास बंदरों के लिए श्रृद्धांजली समारोह रखा.

चिड़ियाघर अधिकारी ने कहना है कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए उन्होंने यह जरूरी कदम मजबूरी में उठाया था. क्योंकि पूर्वी टोक्यो के फुतुसू शहर में टाकागोयामा नेचर चिड़ियाघर में स्नो मंकी प्रजाति के बंदरों में से एक तिहाई रेसस मकाक के क्रॉसब्रिड थे.

इन बदंरों को जापान में आक्रमक बंदर माना जाता है. जब चिड़ियाघर ने इनकी डीएनए जांच की तो इनमें आक्रमक जीन पाए गए. जापान के कानूनों के तहत ऐसे बंदरों को रखना और परिवहन करना प्रतिबंधित है और कानून के तहत ही उन्हें मारने की अनुमति है.

इसलिए इन 57 बंदरों को इंजेक्शन लगाकर मारने के बाद बौद्ध रीति से बंदरों कों श्रृद्धाजंली भी दी गई.