त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज – क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे ना सिर्फ किसी एक देश में बल्कि दुनियाभर के लगभग सभी देशों में क्रिकेट को लेकर लोगों में खासी दिलचस्पी होती है.
खासकर भारत देश की बात करें तो यहाँ तो क्रिकेट को लेकर लोगों में पागलपन की हद तक दिलचस्पी रहती है.
ये चाहत कोई नई नहीं बल्कि शुरुआत से हीं रही है. तभी तो सभी तरह के क्रिकेट मैच भारत देश की धरती पर आयोजित किये जाते रहे हैं. लेकिन सवाल यहाँ ये है की आखिर कई सालों से हिन्दुस्तान में त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज का आयोजन क्यों नहीं किया जा रहा है ?
तो चलिए जानते हैं कि आखिर भारत में त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज क्यों नहीं खेली जाती.
12 साल बाद पहली बार रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत देश ने श्रीलंका में आयोजित टी-20 ट्राई सीरीज़ में हिस्सा लिया. इसमें श्रीलंका और भारत के अलावा बांग्लादेश की टीम ने भी हिस्सा लिया. एक समय ऐसा भी हुआ करता था जब क्रिकेट मैच खेलने वाले सभी देशों में त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज खूब हुआ करता था.
भारत देश में भी आए दिन ट्राई सीरीज़ का आयोजन किया जाता रहता था. लेकिन पिछले कई सालों से भारत देश में इस तरह के सीरीज का आयोजन नहीं किया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे ऐसी क्या वजह है.
बीसीसीआई के लिए घाटे का सौदा होता है त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज
आज के समय में क्रिकेट सीरीज़ का फॉर्मेट क्या होना चाहिए इसका निर्धारण सीरीज़ के मद्देनज़र नहीं बल्कि सीरीज़ से होनेवाले कमाई के मद्देनज़र किया जाता है. हमारे भारत देश में त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज का आयोजन बीसीसीआई जैसे बोर्ड के लिए घाटे का सौदा करने वाला होता है इसलिए भारत देश में कई सालों से त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज़ का आयोजन नहीं किया जा रहा है.
अब आप सोचेंगे की आखिर जिस खेल के प्रति लोगों की दीवानगी इस कदर है भला उसमे बीसीआई को घटा कैसे हो सकता है ?
तो आप शायद इस बात को भी जानते होंगे की जिस भी मैच में भारत की टीम खेल रही होती है उसमे जितनी कमाई होती है उतनी दूसरे टीमों के मैच में नहीं होती.
अब आप खुद हीं सोचिये की भारत देश की धरती पे अगर दो टीमें आपस में खेले लेकिन उसमे एक भी टीम भारत की ना हो तो कितने लोग उस मैच को देखने में अपनी दिलचस्पी दिखाएंगे ?
बहुत काम लोग है न. जब देश की धरती पर देश की टीम ही नहीं खेल रही होगी तो उस स्टेडियम में तो दर्शकों की कमी हो हीं जाती है. साथ हीं टेलीविज़न पे भी क्रिकेट देखनेवाले दर्शकों की कमी हो जाती है. अब ऐसे में बीसीआई के लिए त्रिकोणीय सीरीज़ घाटे का हीं सौदा होगा ना. तभी तो बीसीआई दुईपक्षीय सीरीज़ ही ज्यादा से ज्यादा आयोजन करने पे जोर देती है.
विदेशी बोर्ड भारत की हामी के बाद हीं करते हैं त्रिकोणीय क्रिकेट सीरीज
अब आप निश्चित रूप से ये सोच रहे होंगे कि जब ये भारत के लिए घाटे का सौदा है तो भला वेस्ट इंडीज़ बोर्ड या फिर श्रीलंका बोर्ड इस तरह के सीरीज़ का आयोजन कैसे कर लेते हैं ?
तो चलिए इस सवाल का जवाब भी आप जान हीं लीजिये.
अब आप अगर अपने दिमाग पे थोड़ा जोड़ डालते हुए सोचेंगे तो आपको इस सवाल का जवाब आसानी से मिल जाएगा. आपने कभी तो गौर फ़रमाया होगा कि किसी भी दूसरे देश में तभी त्रिकोणीय सीरीज़ का आयोजन किया जाता है जब भारतीय टीम उस सीरीज़ में खेलने के लिए तैयार हो जाती है. अब ऐसे में होता ये है कि विदेशी बोर्ड को सभी मैच से बढ़िया मुनाफा मिल जाया करता है. आप इस बात से तो भली-भांति वाकिफ होंगे हीं कि भारत कि
टीम इंडिया के किसी भी कोने में मैच क्यों ना खेले उसके टीवी राइट्स बड़ी कीमत पर बिक हीं जाते हैं.
चलिए जो भी हो मैच कहीं भी हो आप तो उसका आनंद ले हीं लेते हैं. भला आपको मैच से कोई कमाई थोड़ी ना करनी है. हाँ लेकिन जहाँ तक बात बीसीआई कि है तो वो तो अपने फायदे और घाटे को ध्यान में रखते हुए अपना काम करेंगे हीं. और भाई करना भी चाहिए. आप क्या कहते हैं, भारत देश में त्रिकोणीय सीरीज़ फिर से होनी चाहिए या नहीं ? अपने सुझाव हमें जरूर बताइये.