पुराने समय में भारत के पास इतना सोना और धन था कि इसे सोने की चिडिया कहा जाता था।
अंग्रेज़ों और मुगलों ने भारत को लूटकर कंगाल बना दिया। कभी सोने की चिडिया कहलाने वाला भारत आज गरीबी की चपेट में है।
शायद अगर अंग्रेज़ों का भारत पर कब्जा नहीं हुआ होता तो आज भारत अमेरिका से ज्यादा समृद्ध और शक्तिशाली होता क्योंकि अंग्रेज़ों पर भी तो भारत से ही पैसा गया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों ने भारत को खूब लूटा है और इसी वजह से शायद भारत आज इतना गरीब है लेकिन अब शायद ये गरीबी ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी।
की मिट्टी में गढ़ा हुआ खजाना मिला है। ये खजाना आपके अंदाज़े से भी कई ज्यादा है। भारतीय भू वैज्ञानिकों को राजस्थान की रेतीली मिट्टी में करोड़ों के सोने के खजाने के बारे में पता चला है। भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक राजस्थान के बांसवाड़ा, उदयपुर जिले में 11.48 करोड़ टन के सोने के भंडार का पता लगाया गया है।
राजस्थान में सोने की खोज को लेकर भू वैज्ञानिकों को नई संभावनाएं मिली हैं। उदयपुर और बांसवाड़ा के भूकिया डगोचा में सोने के भंडार मिले हैं। राजस्थान में 35.65 करोड़ टन के सीसा, जस्ता के संसाधन राजपुरा दरीबा खानिज पट्टी में मिले हैं। इसके अलावा भीलवाड़ा जिले के सलामपुरा और इसके आसपास के इलाके में भी सीसा-जस्ता के भंडार मिले हैं।
विभाग की मानें तो साल 2010 से लेकर अब तक 8.11 करोड़ टन तांबे के भंडारों का पता लगाया जा चुका है। इसमें तांबे का औसत स्तर 0.38 प्रतिशत है। राजस्थान के सिरोही जिले के देवा का बेड़ा, सालियों का बेड़ा और बाड़मेर जिले के सिवाना इलाकों में अन्य खनिज की खोज की जा रही है। इसके साथ ही 11.48 करोड़ टन के सोने के भंडार का भी पता चला है।
उर्वरक खनिज पोटाश और ग्लूकोनाइट की खोज के लिए नागौर, गंगापुर, सवाई माधोपुर में उत्खनन का काम जारी है। इन जिलों में पोटाश और ग्लूकोनाइट के भंडार मिलने से भारत की उर्वरक खनिज की आयाम पर निर्भरता कम होगी।
इतना खजाना मिलने के बाद आप भी कहेंगें कि भारत तो फिर से सोने की चिडिया बन सकता है लेकिन आज भ्रष्टाचार इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ये खजाना आम जनता तक पहुंच ही नहीं पाएगा। अगर इस खजाने को आम जनता और देश के विकास में लगाया जाए तो भारत भी कम समय में गरीबी से निकल सकता है लेकिन आप तो हमारे देश की सरकार और करप्ट सरकारी अधिकारियों को जानते ही हैं। ये लोग कहां देश के हित में काम करेंगें। शायद सबसे पहले इस खजाने से सरकारी अधिकारियों और नेताओं की जेब भरी जाएं और फिर जो बचे उसे देश के नाम पर राजकीय कोषों में जमा कर दिया जाएगा।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश को फिर सोने की चिडिया बनने का सपना टूट जाएगा। इस खजाने से हमारे देश का विकास हो सकता है लेकिन हमारे देश के करप्ट लोग ऐसा होने ही नहीं देना चाहते। ऐसे तो हम गरीब ही रह जाएंगें।