ट्रेन – भारत में रेल व्यवस्था का कोई जवाब नहीं है।
आए दिन यहां पर रेल पटरियों से उतर जाती हैं और हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है लेकिन सरकारी महकमे के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है।
रेल हादसों के बाद भी रेल व्यवस्था में कोई बदलाव ना आना, ऐसा लगता है कि मानो ये मंत्री और सरकारी कर्मचारी जनता को कीड़े-मकौडे मानते हों जो लोगों की मौतों से इन्हें कोई फर्क ही ना पड़ता हो।
भारतीय रेलवे को लेकर अब इतनी अजब सी कहानी सामने आई है कि आप जानकर इस पर भरोसा ही नहीं करेंगें। लेकिन इस खबर को जानने से पहले हम आपको ये बता दें कि भारत के मित्र देश जापान में कैसी रेल व्यवस्था है।
जापान में रेल
कुछ दिनों पहले ये खबर सुनने को आई थी कि जापान में ट्रेन एक मिनट भी लेट हुई तो तमाम रेलवे अधिकारियों ने सामूहिक माफीनामा जारी कर दिया था।
यहां पर ट्रेनों और इसमें सफर करने वाले यात्रियों को इतनी अहमियत दी जाती है कि हम भारतीय शरमा जाएं। अब ज़रा आप खुद ही सोचिए उस देश में ट्रेन एक मिनट लेट होने पर सामूहिक माफीनाम जारी किया गया लेकिन यहां तो अगर ट्रेन में लाखों लोग मर भी जाएं तो किसी मंत्री से सॉरी तक नहीं फूटता है।
चलिए अब जान लेते हैं भारतीय रेलवे की खबर…
आपको ये खबर सुनकर यकीन ही नहीं होगा कि भारत में एक मालगाड़ी ऐसी है जो चली तो साल 2014 में थी लेकिन अपनी मंजिल पर 2018 यानि इस साल पहुंची है। इस मालगाड़ी को अपनी मंजिल तक पहुंचने में 3.5 साल लग गए।
दरअसल, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से यूपी के बस्ती जिले के लिए किसी ऑर्डर पर खाद भेजी गई थी। 1400 किमी का सफर तय करके इसे बस्ती पहुंचाना था। इस खाद की कीमत 10 लाख रुपए थे। जब नवंबर, 2014 तक ये मालगाड़ी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंची तो इसके मालिक ने भारतीय रेलवे से संपर्क किया। लेकिन रेलवे इस पार्सल को ट्रैक नहीं कर पाई। खाद वाले ये डिब्बे स्टेशन दर स्टेशन घूमते रहे और अब 3.5 साल बाद ये ट्रेन खाद के साथ बस्ती के स्टेशन पर पहुंची है।
हालांकि, इसमें रखी खाद खराब हो चुकी है। अब इसके मालिक रामचंद्र गुप्ता ने इसे लेने से मना कर दिया है।
मालिक का कहना है कि उन्होंने इन 3.5 सालों में रेलवे को कई बार अपने माल का रिमाइंडर भेजा लेकिन उनकी तरह से कोई जवाब नहीं आया। जवाब आता भी कैसे हमारे यहां के रेलवे कर्मचारी इतने एक्टिव थोड़े ना हैं। मालिक का कहना है कि रेलवे की गलती की वजह से जो खाद खराब हुई है उसकी भरपाई रेलवे करे। अब इस मामले की जांच की जा रही है। अगर किसी डिब्बे में कभी कोई दिक्कत आ जाती है जो उसे ट्रेन से हटा दिया जाता है। इस डिब्बे के साथ भी ऐसा ही हुआ था जिसकी वजह से इसे पहुंचने में इतनी देर हो गई।
ये मामला भारतीय रेलवे के आलसीपने और उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है। अगर आप भी ट्रेन में सफर करते हैं तो ज़रा इस खबर से कुछ सीख ले लें।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…
दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…
सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…
कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…
दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…
वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…