भारत में क्रिकेट किसी धर्म से कम नहीं है.
जैसा जूनून और पागलपन क्रिकेट को लेकर है वैसा किसी और खेल को लेकर नहीं है और इस जूनून का ईंधन है हमारे खिलाडियों का खेल.
भारतीय क्रिकेट में एक से एक धुरंधर खिलाड़ी हुए है. सचिन तेंदुलकर को तो भगवान तक का दर्जा देते है क्रिकेट के प्रशंसक. क्रिकेट के खेल में सबसे ज्यादा पुछा जाने वाला सवाल होता था सचिन खेल रहा है या नहीं?
और इसके बाद दूसरी बात होती थी सहवाग की पारी देखकर चलते है.
जी हाँ वीरेंद्र सहवाग… भारतीय क्रिकेट के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ वैसे ये कहना भी गलत नहीं होगा कि वो शायद दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ थे.
दुनिया के किसी भी गेंदबाज़ की धज्जियाँ उड़ाने से नहीं डरते थे और वन डे हो या टेस्ट या फिर T20 सहवाग का अंदाज़ हमेशा एक ही रहता था.
सहवाग ने ताज़ा ताज़ा सन्यास लिया है, जिन प्रशंसकों ने सचिन सहवाग द्रविड़ लक्ष्मण और गांगुली को खेलते देखा था उनके लिए सहवाग का सन्यास लेना एक युग का खत्म हो जाना है.
आज आपको बताते है टेस्ट क्रिकेट में सहवाग की सर्वश्रेष्ठ पारियां
309, मुल्तान विरुद्ध पाकिस्तान (2004)
किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला तिहरा शतक सहवाग लगायेंगे. सहवाग के बारे में कहा जाता था कि वो विस्फोटक बल्लेबाज़ है पर क्रीज़ पर अधिक समय तक नहीं टिक सकते.
सहवाग ने इस बात को गलत साबित किया और तिहरा शतक भी अपनी स्टाइल में पूरा किया छक्का लगाकर. इस पारी की सबसे बड़ी खासियत थी कि ये उपलब्धि सहवाग ने पाकिस्तान के विरुद्ध पाकिस्तान की ज़मीन पर. इस पारी के बाद नजफगढ़ का नवाब बन गया था मुल्तान का सुल्तान.
151 एडिलेड विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया (2008)
ऑस्ट्रेलिया दौरे में सहवाग की वापसी हुई थी भारतीय टेस्ट टीम में . सहवाग क्रीज़ पर टिके थे ऑस्ट्रेलिया के खतरनाक तेज़ आक्रमण के सामने.
ये वो मैच था जिसमे सचिन,द्रविड़,गांगुली और लक्ष्मण जैसे दिग्गज सिर्फ 54 रन के स्कोर पर वापस लौट गए थे. सहवाग ने इस पारी में बहुत ही सोच समझ और ठन्डे दिमाग से खेलते हुए धीरे धीरे अपनी पारी को संवारा और 151 रन बनाये. सहवाग की पारी की वजह से ही भारत ये टेस्ट बचाने में कामयाब हुआ था.
83 चेन्नई विरुद्ध इंग्लैंड (2008)
अधिकतर लोग सहवाग की बड़ी परियों को ही उनकी सर्वश्रेष्ठ पारियां मानते है. लेकिन चेन्नई में खेली गयी सहवाग की ये पारी बहुत ही महत्वपूर्ण थी.
एक दिन और एक सेशन बचा था और भारत को इंग्लैंड से जीतने के लिए 387 रन बनाने थे. इस मैच में सचिन ने शानदार शतक लगाकर भारत को जीत दिलाई थी .
इस जीत की नींव रखी थी वीरेंद्र सहवाग ने. T20 के अंदाज़ में उन्होंने पनेसर से लेकर एंडरसन सबकी गेंदबाज़ी की बखिया उधेड़ते हुए सिर्फ 68 गेंदों पर 83 रन बनाये.
319 चेन्नई विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका (2008)
अगर विरोधी टीम के कोच कहे कि ये पारी उनके द्वारा देखि गयी अब तक की सर्वश्रेष्ठ पारी है तो समझ जाइये कि वो कैसी पारी होगी. दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाजी दुनिया में सबसे धारदार मानी जाती है .
उस गेंदबाजी के सामने वीरेंदर सहवाग ने ना सिर्फ अपने कैरियर में दूसरी बार 300 रन के आंकड़े को छुआ.अपितु टेस्ट क्रिकेट का सबसे तेज़ तिहरा शतक बनाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. 300 रन बनाने के लिए उन्हें सिर्फ 278 गेंदों की ज़रूरत पड़ी.
293 मुंबई विरुद्ध श्रीलंका (2009)
सहवाग ने दुनिया के किसी भी गेंदबाज़ को नहीं बख्शा था. विश्व के सबसे बेहतरीन स्पिनर माने जाने वाले मुरलीधरन के विरुद्ध उनका रिकॉर्ड कुछ खास अच्छा नहीं था.
लेकिन इस टेस्ट मैच के बाद उन्होंने साबित कर दिया कि जब वो खेलते है तो किसी भी गेंदबाज़ की उनके सामने एक नहीं चलती. इस मैच में सहवाग ने 293 रन बनाए.
वो दुनिया के पहले तीन तिहरे शतक ज़माने वाले खिलाडी बनने से तो चूक गए पर उन्होंने इस पारी में 47 बार गेंद को सीमा रेखा के बाहर पहुँचाया.
वीरेंद्र सहवाग ने हर तरह के क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. सहवाग के बाद शायद ही कोई इतना जिंदादिल बाल सुलभ और विस्फोटक खिलाडी भारत में क्या दुनिया की किसी टीम में नहीं आने वाला. सहवाग शायद इकलौते ऐसे खिलाड़ी थे जो असली क्रिकेट को भी विडियो गेम के अंदाज़ में खेलते थे.
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