महाज्ञानी व अहंकारी रावण की सोने की लंका, जो त्रेतायुग में त्रिकुटाचल पर्वत पर स्थित है।
त्रेतायुग का यह पर्वत अब श्रीलंका देश में है। जहां रावण की सोने की लंका के साक्ष्य उपलब्ध है। जो रावण की नगरी की भव्यता के बारे में वर्णन करते हैं। मगर रावण की वह लंका पहले की तरह नहीं रहीं। समय के साथ उस पर भी कई बदलाव हुए हैं।
जैसा रावण वध कथा व उसके साम्राज्य के पतन की कथा के बारे में सभी जानते हैं कि जब रावण ने सीता का हरण कर उन्हें लंका में रखा था तब भगवान राम ने सीता को बचाने हेतु योजना का निर्माण किया। इस योजना में सर्वप्रथम राम ने रावण को क्षमा मंगवाने के लिए हनुमान के हाथों प्रस्ताव भेजा। मगर रावण ने अपने अहम के कारण प्रस्ताव को ठुकराकर, भगवान हनुमान की पूंछ पर आग लगा दी। तथा हनुमान ने जली पूंछ से पूरी लंका को जला कर प्रतिउत्तर दिया।
कहा जाता है कि सोने की लंका का निर्माण शिव ने माता पार्वती के रहने के लिए करवाया था। जो देवशिल्पी विष्वकर्मा के हाथों संपन्न हुआ। लेकिन जब शिव ने महल में गृहप्रवेश हेतु महापंडित को बुलाया तो उसने छल से महादेव से सोने की लंका छीन ली।
श्रीलंका स्थित रावण की लंका, त्रिकुटाचल पर्वत पर बनी थी। जो तीन पर्वतों के श्रृंखला के साथ श्रृंखलाबद्ध है। इसमें पहला पर्वत सुबेल था जहां रामायण का युद्ध पूर्ण हुआ था। दूसरा पर्वत का नाम नील था जहां पर सोने की लंका स्थापित थी और तीसरा पर्वत सुन्दर पर्वत जहां अशोक वाटिका स्थित थी। यह वाटिका एलिया पर्वतीय क्षेत्र की गुफा में स्थित है, जहां रावण ने सीता को बंधक बना कर रखा था।
रावण की लंका का यह इतिहास पिछले त्रेतायुग से यूं ही चला आ रहा है। मगर समय के साथ जब अनुसंधान कर्ता वहां रिसर्च के लिए पहुंचे, तो उनको वहां अद्भुत प्रमाण मिले जिनमें पहला यह है कि रावण ने चार हवाई अड्डे बनवाये थे। जिनके नाम है उसानगोडा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वरियापोला। दूसरा, लंका में पहुंचने हेतु जिस रामसेतु का निर्माण श्री राम ने करवाया था वह आज भी है हालाकिं उस पर स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं।
गौरतलब है कि रावण की सोने की लंका के इतिहास के बारे में अधिक प्रमाण नहीं है मगर जब बात रावण की नगरी की शुरु की जाती है तो इसके समकक्ष रावण वध की कथा भी दोहराई जाती है। जो एक महाज्ञानी, लेकिन अहंकारी पंडित रावण का वध की कथा है ।