दोस्तों के बारे में बहुत कुछ कहा और सुना जाता है लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जिन पर अमल कर आप अपनी दोस्ती को जीवनभर बरकरार रख सकते हैं.
आज की आपाधापी भरी ज़िंदगी में आप ये दलील दे सकते हैं कि क्या करें काम से फुर्सत ही नहीं मिलती. ऐसे में दोस्तों से मुलाकात कैसे संभव है. इस बारे में रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स का कहना है कि आप इस बात का इंतज़ार न करें कि दूसरे जब आपसे मिलने की पहल नहीं करते तो फिर मैं क्यों करूं. अगर आप अपने दोस्त से मिलने की पहल करेंगे तो इससे आपका बड़प्पन कम नहीं होगा बल्कि बढ़ेगा ही. इसलिए जब भी मौका मिले आप अपने दोस्तों को चाय-कॉफ़ी पीने या लंच-डिनर पर आमंत्रित कर सकते हैं. दस-पंद्रह दिन में एक बार फोन पर बात कर सकते हैं या ऑनलाइन चैट कर सकते हैं.
वहीं एक रिसर्च के अनुसार, दोस्तों के साथ वक़्त बिताने से उदासी या डिप्रेशन की शिकायत नहीं होती. विशेषज्ञों के अनुसार, दोस्तों के साथ समय बिताने से मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्तर पर राहत मिलती है.
अगर आप काफी सामाजिक हैं तो संभव है कि आपका परिचय तमाम लोगों से होगा. ऐसे में आप ये ग़लतफहमी में पड़ सकते हैं कि आपके बहुत से दोस्त हैं जो खराब समय में आपकी मदद करेंगे पर यकीन मानिए ऐसा नहीं होता. अनेक अवसरों पर तमाम लोगों से आपकी बातें होती हैं लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं होता कि वे सभी ज़रूरतों में आपके काम ही आएं. दोस्तों के बारे में संख्या का महत्व नहीं होता बल्कि आपके प्रति उनकी निष्ठा एवं प्रेम से होता है.
इसी के साथ आपसी सम्मान, एक-दूसरे के प्रति वफादारी इन बातों को दोस्ती का पर्याय माना जाता है. इसीलिए अपने दोस्तों की भावनाओं का सम्मान करें व उनकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखें. ये समझें कि आपके दोस्त केवल आपके ही नहीं, उसका अपना एक अस्तित्व है जिसका आपको सम्मान करना है.
अक्सर ये भी देखने में आता है कि कभी-कभी दोस्त आपस में अप्रिय शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं. वे ये भूल जातें हैं कि ऐसे शब्द किसी को अप्रिय लग सकते हैं इसलिए भूलकर भी कभी किसी के लिए अप्रिय शब्दों का प्रयोग न करें. साथ ही किसी के सामने अपने दोस्त का मज़ाक भी न उड़ाएं.
वैसे कोई भी रिश्ता प्रेम और विश्वास पर आधारित होता है. ये बात दोस्ती के साथ भी लागू होती है. आप अपने करियर और परिवार के प्रति प्रतिबद्ध रहें पर अगर आप किसी दोस्त से किसी तरह का वायदा करते हैं तो उसे निभाने की कोशिश ज़रूर करें.
वहीं, दोस्ती को बरकरार रखने का एक महत्वपूर्ण उपाय है पैसों का लेन-देन न करना यानी अपने दोस्तों से न उधार लें और न उधार दें. पैसों का लेन-देन करने पर दोस्ती खतरे में पड़ने का जोखिम रहता है इसलिए जबतक बहुत ज़रूरत न हो पैसा उधार न मांगे.
आज के समय में ये भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि हम संबंधों को गणित न बनाएं. दोस्ती गणित के फार्मूलों से संचालित नहीं होती. आपने अपने दोस्त के लिए क्या किया और उसने आपके लिए क्या किया. ये बात माएने नहीं रखती. कभी-कभी ऐसा होता है कि जब आपको ज़रूरत होती है तब आपका दोस्त आपसे दूर होता है. इस तरह का वाक्या तो किसी के साथ भी हो सकता है इसलिए दोस्तों के लिए किसी तरह की गणना करना नासमझी ही कहलाएगी.
कहते हैं दोस्ती का रिश्ता खून के रिश्तों से बढ़कर होता है. शायद इसी वजह से हम दोस्तों के साथ होने पर खुश रहते हैं. दोस्त बनाना कठिन नहीं होता, कठिन होता है उन्हें सहेजकर रखना.