पाकिस्तान में अपने सिंध प्रांत के करीब 93 मदरसों का आतंकी समूहों के साथ संबंध होने के कारण उनके खिलाफ अभियान शुरू करने वाला है.
पाकिस्तान का कहना है कि वह किसी को भी धर्म के नाम पर या पाक जगहों पर मासूमों का खून बहाने की अनुमति नहीं दे सकता है.
सवाल है कि भारत ऐसा कब करेगा.
जबकि हमारे देश के जम्मू कश्मीर राज्य में प्रशासन ने करीब 9000 हजार ऐसे मस्जिदों व मदरसे को चिन्हित किया है जिन पर शक है कि ये आतंकी मदरसे है और उनके यहां ये घाटी में अलगावादी और आतंकियों को शह और प्रशय दोनों मिलता है.
अगर पाकिस्तान जैसा मुस्लिम देश आतंकवादियों को पनाह देने वाले इस्लामिक धार्मिक स्कूलों के खिलाफ अभियान शुरू करने की बात कह सकता है तो भारत में केंद्र और राज्य सरकार कश्मीर में करीब 3 माह से जारी हिंसाचक्र को जारी रखने और राष्ट्रविरोधी भावनाओं को भड़काने में शामिल आतंकी मदरसे जैसे धर्मस्थलों की भूमिका पर कड़ा रूख क्यों नहीं अख्तियार करती है.
गौरतलब है कि कश्मीर में मस्जिदों व अन्य धर्मस्थलों का आतंकी व अलगाववादी संगठनों से जुड़े तत्व इस्तेमाल कर रहे हैं. इन मस्जिदों में न सिर्फ स्थानीय युवकों को जिहादी गतिविधियों के लिए उकसाया जाता है बल्कि सुबह और शाम जिहादी तराने और भारत विरोधी नारेबाजी खूब गूंजतीहै.
खुफिया सूत्रों की मानें तो चिन्हित 9000 में से 156 मस्जिदें नियमित जिहादी गतिविधियों का केंद्र बनी हुई हैं. इन मस्जिदों की गतिविधियों पर पुलिस में 19 एफआइआर भी दर्ज हैं. जबकि 17 मस्जिद कमेटियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
कश्मीर घाटी के अनंतनाग में 2300, बारामुला में 1400, श्रीनगर में 1100, कुलगाम में 900, कुपवाड़ा में 937, पुलवामा में 700,गांदरबल में 500, शोपियां में 400 और बांडीपोर में 350 मस्जिदों व मदरसों की निगरानी की जा रही है. श्रीनगर में 100 ऐसी मस्जिदें हैं, जहां रोज राष्ट्रविरोधी नारेबाजी होती हैं.
बावजूद उसके सरकार इन सबको चुपचाप सहन कर रही है.
जबकि मौलवियों और इमामों के बारे में जानकारी जुटाने की प्रक्रिया जून-जुलाई में शुरू की गई थी. लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान अपने यहां आतंकी मदरसे में चल रही देश विरोधी गतिविधियों में शामिल इन आतंकी मदरसे जिनमें चलने वाली गतिविधियों के बारे में पुख्ता जानकारी जुटा कर कार्रवाई करने जा रहा है. इसके लिए सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह के आवास पर एक विशेष बैठक हुई जिसमें देशविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ चेहल्लुम के तुरंत बाद कार्रवाई करने का फैसला लिया गया.
मुख्यमंत्री मुराद अली शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रेंजर्स के महानिदेशक मेजर जनरल बिलाल अकबर और असैन्य नेतत्व के अन्य सदस्यों सहित खुफिया एजेंसियों के प्रांतीय प्रमुख भी शामिल हुए.
मुख्यमंत्री ने आतंकवादियों को पनाह देने वाले मदरसों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश पुलिस और रेंजर्स को देते हुए कहा कि हम किसी को भी धर्म के नाम पर या मस्जिदों और मदरसों का उपयोग मासूमों का खून बहाने के लिए नहीं दे सकते हैं.
यह अभियान चेहल्लुम के तुरंत बाद शुरू होगा.
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