वक्त की अहमियत तो हम सभी जानते हैं।
ज़िदंगी बीतते वक्त के साथ आगे बढ़ती जाती है, बीतता तो वक्त है पर असल में खर्च हम होते हैं। ये वक्त कईं बार हमारा साथ देता है तो कईं बार हमे निराश कर देता है, कईं बार इतनी तेज़ी से बीतता है कि इसे पकड़ना मुश्किल हो जाता है और कईं बार ऐसा लगता है मानो ठहर गया है। कईं बार लगता है जैसे ये तो हमारा दोस्त है तो कभी ऐसा महसूस होता है कि ये हमसे नाराज़ होकर बैठा है।
वक्त की अहमियत –
खैर, वक्त का हमारे हिसाब से चलना तो मुमकिन नहीं है, हमे ही खुद को वक्त के हिसाब से ढ़ालना पड़ता है। कोई भी चीज़ हमें वक्त से पहले कभी नहीं मिल सकती और कुछ चीज़ें ऐसी होती है जिनकी वक्त निकलने के बाद कोई अहमियत नहीं रहती।
ये वक्त ही है जो जब बदलता है तो हमें कईं लोगों के चेहरे दिखा देता है। वक्त जब हमारे हक़ में होता है तो लोग मानो हमसे जुड़ने के लिए लाख कोशिश करते हैं, हमारी हर कमी उन्हे बहुत छोटी लगती है और हमारी हर ग़लती को वो नज़रअंदाज़ करने को तैयार रहते हैं लेकिन जब ये वक्त हमसे मुंह मोड़ता है तो मानो कईं लोगों के चेहरों पर से नक़ाब हटा देता है।
जो लोग कल तक हमसे जुड़ने के लिए परेशान थे आज वो हमसे अलग होने के बहाने ढूंढने लगते हैं। ये वक्त ही है जनाब, जो हमें ज़िदंगी के हर रंग से मिलवा देता है।
जब वक्त हमारे हक़ में नहीं होता तो सही वक्त का इतंज़ार करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन एक बात जो यहां समझने की ज़रूरत है वो ये है कि अगर वक्त हमेशा एक जैसा ही रहेगा तो हम कभी अपनों में छिपे अजनबियों को नहीं पहचान पाएंगे, पर असल में ज़िदंगी जीने के लिए ये बहुत ज़रूरी है।
अपने वक्त का इतंज़ार करना तो बहुत मुश्किल है लेकिन भरोसा और उम्मीद इस मुश्किल को आसान बना सकते हैं। अगर आज वक्त आपका नहीं है तो कोई बात नहीं, कल ज़रूर आएगा। जब अच्छा वक्त नहीं टिका तो बुरा वक्त भी तो बीत ही जाएगा।
जब हम बुरे वक्त से गुज़र रहे होते हैं तो ये बात समझ और मान पाना बहुत मुश्किल होता है, और अच्छे वक्त का इतंज़ार करना तो और मुश्किल होता है और इसलिए हम परेशान हो जाते हैं, ना खुद खुश रह पाते हैं और ना ही किसी और को खुशी दे पाते हैं पर ऐसा कर आप खुद को चोट पहुंचा रहे हैं।
खुश रहिए, वक्त तभी आएगा जब आना होगा, हां, वक्त को अपने हक़ में करने के लिए आप कोशिश ज़रूर कर सकते हैं पर जब आपकी कोशिश से हालात परे हो तो इतंज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
अपने अच्छे वक्त में किसा के साथ कुछ ऐसा ना कहें और ना करें जो आपके बुरे वक्त में आपके पास लौटकर आए, ये वक्त का पहिया घूमता रहता है। कभी एक जैसा नहीं रहता।
वक्त की अहमियत – अगर आप भी वक्त के किसी ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जो आपके लिए सही नहीं है, आपके हक़ में नहीं है तो सब्र रखिए, उम्मीद का दामन थामे रहिए, और वक्त को थोड़ा वक्त दें, वक्त ज़रूर आएगा