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टाइगर और भिक्षु दोस्त हैं यहाँ! ऐसा क्या जादू है इस मंदिर में आख़िर?

tiger temple in thailand

शेर के नाम से ही पसीने छूट जाते हैं, पतलून गीली हो जाती है और जान यूँ निकलती है कि शेर को भी लगेगा कि मरे हुए को क्या मारना!

लेकिन फिर भी दुनिया में एक ऐसी जगह है हुज़ूर जहाँ इंसान और शेर ऐसे रहते हैं जैसे कि बचपन का याराना हो, जन्मों का रिश्ता हो और रिश्ता इतना पुख़्ता हो कि तोड़ने से भी ना टूटे!

हैरान हो गए ना आप?

मैं बात कर रहा हूँ थाईलैंड के कंचनबुरी प्रांत में स्थित टाइगर टेम्पल की!

ये एक ऐसा मंदिर है जहाँ बौद्ध भिक्षु अपनी तपस्या, पूजा-अर्चना में व्यस्त रहते हैं और उन्हें कंपनी देने के लिए हैं करीब 150 बाघ! बिल्कल आज़ाद घुमते हैं बाघ और अगर आप पर्यटक की तरह वहाँ जाएँगे तो आपको भी उनसे कोई खतरा नहीं होगा! बल्कि मज़े से सेल्फ़ी खिंचवाईएगा उनके साथ!

ये टेम्पल थाईलैंड-बर्मा बॉर्डर के पास ही है और इसे “वात पा लुआंगता बुआ” के नाम से भी जाना जाता है! इस मंदिर की स्थापना 1994 में हुई थी और शुरुआत से ही बौद्ध भिक्षुओं ने इसे वन्य जीव सरंक्षण प्रोग्राम से जोड़ दिया था| शुरू-शुरू में यहाँ कुछ छोटे जंगली जानवर, कुछ पक्षी ही रहा करते थे| फिर 1999 में एक गाँव वाला एक शेर के बच्चे को यहाँ ले आया जिसकी माँ मर चुकी थी| वो बच्चा तो ज़्यादा दिन अपनी माँ के बिना जी नहीं पाया लेकिन फिर गाँव वाले धीरे-धीरे दूसरे शेरों के बच्चों को यहाँ लाने लगे जिन्हें ऐसी ही जगह की ज़रुरत थी, अपने पालन-पोषण के लिए! यूँ देखते ही देखते इन शेरों की संख्या बढ़ती चली गयी और फिर ये मंदिर टाइगर टेम्पल के नाम से प्रसिद्ध हो गया!

विदेशी पर्यटकों के लिए ख़ास इंटरेस्ट की वस्तु हैं ये बाघ! बौद्ध भिक्षुओं की भी जितनी तारीफ़ की जाए कम है जिन्होंने इन शेरों के बच्चों को इस तरह ट्रेन करके बड़ा किया है कि इंसानों को अपना दोस्त ही बना लेते हैं और उनसे घुल-मिलकर ही रहते हैं! इंसान और पशु का ऐसा प्रेम देखने से भी नहीं मिलेगा कहीं और! वो भी शेर और इंसान का प्यार, सिर्फ़ किस्से कहानियों में सुना होगा आपने, देखने को सिर्फ़ यहीं टाइगर टेम्पल में ही मिलेगा!

कभी मौका मिले तो ज़रूर जाईयेगा और बेहिचक शेरों को अपना दोस्त बनाइये! प्यार दीजिये और ढेर सारा प्यार पाइए!