थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणि – दुनिया में ऐसे कई इंसान हैं जो हर किसी के लिए प्रेरणादाई है.
उनकी जीवनी हर किसी को आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करने के लिए काफी होती है. भारत देश में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने बचपन में गरीबी देखी, लेकिन आगे चलकर वो इतने अमीर बन गए थी पूरी दुनिया में छा गए. दोस्तों आज आपको हम एक ऐसे हीं भारत के सपूत की सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं जो आपको प्रेरणा देने का काम तो करेगी, साथ हीं एक अच्छी सबक भी सिखा देगी.
ये सच्ची कहानी एक ऐसे इंसान की है जिनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा. गरीबी इतनी की पहनने को पैरों में चप्पल तक नहीं थे. लेकिन अपनी मेहनत के बल पर आज ये करोड़ों के मालिक बन चुके हैं. लेकिन आज भी उनका सादगी भरा जीवन लोगों को प्रेरणा देने का काम करती है.
ये हैं थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणी
जिस हस्ती के बारे में आज हम बात कर रहे हैं उन्हें थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणि के नाम से जाना जाता है. अब आप निश्चित रूप से ये सोच रहे होंगे कि आखिर ये थायराइड किंग के नाम से क्यों जाने जाते हैं ?
तो हम आपको बता दें कि भारत देश में सबसे पहले थायराइड के विषय में लोगों को जागरुक करने का श्रेय इन्हीं को जाता है.
थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणि ने हीं सबसे पहले भारत में थायराइड टेस्ट कराने की शुरुआत की थी. आज पूरी दुनियांं में सबसे बड़ी थायराइड जांच करने वाली कंपनी थायरोकेयर टेक्नोलॉजी इन्हीं की है.
जी हां दोस्तों, यही हैं थायोकेयर टेक्नोलॉजीज के मालिक. इस कंपनी में थायराइड के अलावा खून से संबंधित सभी तरह के जांच किए जाते हैं.
भारत के अलावा दूसरे कई देशों में हैं आउटलेट्स
इनकी कंपनी के भारत देश में 100 से अधिक आउटलेट्स मौजूद हैं. इसके अलावा बांग्लादेश और नेपाल के साथ-साथ मध्य पूर्व देशों में भी इनकी कंपनी के आउटलेट्स मौजूद हैं.
बचपन गरीबी में गुजरा
थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणि के माता-पिता काफी गरीब थे. बचपन में इनके माता-पिता के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे ओरोकिस्वामी के लिए एक चप्पल तक खरीद सकें. तमिलनाडु के एक बेहद गरीब परिवार में इनका जन्म हुआ था. चुकी ओरोकिस्मीवामी पढ़ने में बहुत तेज थे, इन्हें अपने शिक्षा के लिए सरकारी पैसे मिले थे. उसी सरकारी पैसे की मदद से उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री हासिल की. रसायन विज्ञान से उन्होंने स्नातक किया. और फिर उसके बाद इन्हें केमिस्ट की नौकरी मिली. इस नौकरी में इन्हें सैलरी के रूप में 150 रुपए महीने के मिलते थे.
जब नौकरी छूट गई
बदनसीबी आज भी इनके साथ थी. और जहां काम करते थे वो कंपनी बंद हो गई. इसके बाद ये बेरोजगार हो गए. कुछ समय बाद उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में जॉब के लिए अप्लाई किया. यहां किस्मत ने उनका साथ दिया और उन्हें चुन लिया गया. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में इन्होंने 14 साल तक नौकरी की. और फिर इसके बाद इन्होंने अपनी एक कंपनी खोल ली. इनके अपनी कंपनी की पहली कर्मचारी इनकी धर्मपत्नी थींं. वही कंपनी आज 3 हज़ार करोड़ की बन चुकी है.
आज भी नहीं है खुद की कार
आज जबकि ओरोकिस्वामी वेलुमणी इतनी दौलत के मालिक हैंं, बावजूद इसके ये बहुत हीं साधारण जीवन व्यतीत करते हैं. आपको यकीन नहीं होगा लेकिन ये सच है कि इनके पास अपनी एक कार भी नहीं है. और ना हीं बड़ा बंगला. छोटे से घर में अपने परिवार के साथ सरलता काफी सरलता से जीवन व्यतीत करना इन्हें शांति प्रदान करने वाला होता है.
दोस्तों, अमीर और दिलवाले तो आपने बहुत देखे होंगे. लेकिन ऐसे अमीर को आपने पहली बार जाना होगा, जिसके पास दौलत का खजाना तो है, लेकिन वो इतनी सरलता के साथ जीवन जीते हैं कि कोई इस बात का यकीन ना करे कि ये इंसान इतना दौलतमंद है. कहते हैं जिसके पास दौलत होता है उसके पास दिल नहीं. और जिसके पास दिल होता है उसके पास दौलत नहीं. लेकिन थायराइड किंग अरोकिस्वामी वेलुमणि इन सब से परे हैं. इनके पास दौलत भी है, और दिल भी.