पूरी दुनिया से अनेक पर्यटक इसकी शोभा बढाने और इस रोचक त्यौहार को देखने के लिए यहाँ आते हैं. हज़ारों लोग, सांस्कृतिक नाच गाना, सजे-धजे हाथियों की लम्बी लाइन, दुल्हन सा सजा मंदिर, ऐसी बहुत सी अच्छी चीज़ीं यहाँ आपको देखने को मिलेंगी. दरअसल यह मंदिर भगवान् शिव का मंदिर है और यहाँ आप कई शिव-भक्त दर्शन के लिए पाएंगें.
पुराने समय से ही, थ्रिस्सूर संस्कृत भाषा सीखने की एक बहुत ही महत्वपूर्ण जगह मानी जाती थी. और इसीलिए यह काफी समय से यहाँ मनाया जाता है. यह हर साल पूरम नक्षत्र में मनाया जाता है. इस साल यह त्यौहार, 29 अप्रैल को मनाया जाएगा.
जितने भी पर्यटक, जिन्हें यात्रा का शौक हो और साथ ही अलग-अलग संस्कृति जानने की इच्छा रखते हो, उनके लिए यह त्यौहार एक अनूठा और रोचक अनुभव हो सकता है. तो फिर देर किस बात की? इन गर्मियों में केरल की सुन्दर वादियों और हाउस बोट में घूमने के अलावा इस त्यौहार का हिस्सा बनना न भूलियेगा!