सभी के लिए सृष्टि का एक ही नियम है कि जो संसार में आया है उसे एक ना एक दिन जाना ही पड़ेगा। इंसान ने जन्म लिया है तो उसकी मृत्यु निश्चित ही है। एक ना एक दिन उसे अपना शरीर छोड़कर मृत्यु को प्राप्त करना ही है।
संसार में ऐसी बहुत ही कम चीज़ें हैं जो नश्वर हैं और जिनका कभी नाश नहीं किया जा सकता वरना तो सभी चीज़ें अपने नष्ट होने का समय तय करके ही आती हैं। अब तक कई भविष्यविद् धरती पर प्रलय की भविष्यवाणी कर चुके हैं और उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि इस प्रलय में पूरी धरती का ही नाश हो जाएगा, जा इंसान बचेंगें और ना ही कोई और जीव। पृथ्वी से जीवन का अंत होगी प्रलय।
अगर धरती पर कभी प्रलय आती है और दुनिया तबाह हो जाती है तो भी एक वृक्ष ऐसा है जो जिंदा बच जाएगा। आज हम आपको इसी अनोखे और शक्तिशाली वृक्ष के बारे में जानकारी दे रहे हैं कि क्यों से पेड़ प्रलय के बाद भी जीवित रह जाएगा।
यह वृक्ष कोलकाता के आचार्य जगदीशचंद्र बोस बोटानिकल गार्डन में है। इस पेड़ को 250 साल प्राचीन बताया जाता है। इसके क्षेत्रफल के बारे में भी जानकर आप हैरान जरह जाएंगें। ये पेड़ पूरे 14,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र फल में फैला हुआ है। इतने बड़े दायरे में फैला यह एकमात्र पेड़ है जो सदियों से फूल रहा है।
इसके अलावा पौराणिक कथाओं में भी इस वृक्ष का जिक्र किया गया है। किवंदती है कि वट वृक्ष परमात्मा का प्रतीक है। कथा के अनुसार प्रलय में जब पूरी दुनिया जलमग्न हो जाएगी तब भी यह वटवृक्ष जीवित रहेगा।
कथा में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अक्षय वट कहे जाने वाले इस वृक्ष के पत्तों में साक्षात् देवता वास करते हैं। इस वजह से इस वृक्ष पर कभी कोई मुसीबत नहीं आ सकती है। मान्यता है कि इस पेड़ पर बाल गोपाल कृष्ण की कृपा है। ईश्वर यहां रह कर सृष्टि का अवलोकन करते रहते हैं।
वहीं राम कथा के अनुसार अपने वनवास काल के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण जी यमुना पार कर दूसरे तट पर उतरे तो वहीं विशाल वट वृक्ष के पेड़ को प्रणाम करते। प्रयाग में गंगा तट पर स्थित अक्षय वट को तुलसीदास जी ने तीर्थराज का छत्र कहा है। वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुनजीर्वित किया था। तभी से इस वृक्ष को वट सावित्री भी कहा जाने लगा।
इस वृक्ष को पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। इसकी जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं और पत्तिया हवा को शुद्ध करती हैं। कहते हैं कि ये पेड़ एक दिन में 20 घंटो से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन बनाता है और इसकी पत्तियां एक घंटे में पांच मिली ऑक्सीजन बनाती हैं। अकाल के समय में इसके पत्ते जानवरों को खिलाए जाते हैं।
इस पेड़ के पत्ते कफ-पित्त नाशक, रक्त शोधक और गर्भाशय शोधक है। इसकी पत्तियों को पीसकर बनाए गए पेस्ट से कई तरह के त्वचा विकार दूर होते हैं।
अब तो आप जान ही गए होंगें कि ये वट वृक्ष कितना शक्तिशाली है।