मुंबई मेरी जान
मुंबई, सपनो का शहर
इडली वाले अन्ना को हैदराबाद , मद्रास और बंगलौर का अंतर नहीं पता न ही उसे पता है की केरल और तमिलनाडु अलग अलग है
नार्थ इंडिया से जो है अन्ना, पर दोसे वड़े और इडली का स्वाद ऐसा के उँगलियाँ चाट जाओ.
वो स्टेशन के बाहर दिल्ली के मशहूर छोले भठूरे बेचने वाले भैया भठूरे और छोले तो लाजवाब बनाते है पर दिल्ली के आज तक दर्शन नहीं कर सके.
नासिक में पैदा हुए और महाराष्ट्र के बाहर कहीं गए ही नहीं
गुप्ता जी का वडा पाव खाया उनकी स्पेशल सूखी चटनी के साथ ऐसा वडा पाव के उसके लिए स्वर्ग से देवता भी आ जाये ललचाकर
पता है गुप्ता जी ऐसी जगह से है जहाँ शायद लोग वडा पाव और सूखी चटनी जानते भी नहीं
राजस्थान के गुप्ता जी महाराष्ट्र के वडा पाव को बेच राज कर रहे है लोगों के दिलो पर…
टैक्सी स्टैंड के बगल वाला चायनीज़ जॉइंट
ऐसी ऐसी डिशेस बनती है जिनके नाम चायनीज़ या अमरीकन सुन ले तो बौरा जाये आपस में.
ये दोनों देश एक दूसरे को चाहे एक आँख न सुहाते हो पर इंदौर वाले भैया के जॉइंट पर अमेरिका और चाइना दोनों का जॉइंट वेंचर अमेरिकन चौप्सी ज़रूर मिलेगी.
और हिंदी चीनी भाई भाई की तर्ज़ पर चाइनीज़ भेल भी
देखा क्या कमाल है हज़ारों तरह की चीज़ें है तोड़ने के लिए झगड़ने के लिए पर एक चीज़ है जो इन सब पर भारी है
वो है लज़ीज़ खाना
बिहार से आकर डोसा
इंदौर से चायनीज़
राजस्थान से आकर वडा पाव
और महाराष्ट्र में रह कर छोला भठूरा
और ये सब देखना चखना हो तो बस आ जाइये मुम्बई , ना जाने कितने ही लोगों को , ना जाने कितनी ही संस्कृतियों को अपने अंदर समाये है ये शहर. तोड़ने के लड़ने के वैमनस्य फ़ैलाने के हज़ार जरिये हो, पर फिर भी ये शहर रिश्तों को टूटने नहीं देता.
हर आने वाले को पनाह देता है, रोज़गार देता है. जो एक बार यहाँ आ जाता है, इस शहर से इश्क कर बैठता है .
ये है मुंबई मेरी जान : अनेकता में एकता का अद्भुत उदाहरण…