एक कथा के अनुसार जब भगवान् विष्णु विश्राम कर रहे थे तो ऋषि भृगु ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उन्हें ज़ोर से लात मार कर उठाया. भृगु ने सोचा की विष्णु क्रुद्ध होंगे लेकिन इसके विपरीत भगवान ने ऋषि के चरण स्पर्श करते हुए अत्यंत विनम्र भाव से पुछा कि कहीं ऋषि को चोट तो नहीं लगी. ये सुनकर ऋषि भृगु अत्यंत प्रसन्न हुए और भगवन विष्णु को यज्ञ में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया.