तिरुपति बालाजी ना सिर्फ देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है अपितु ये दुनिया के सबसे धनि मंदिरों में से भी एक है.
आंकड़ों के अनुसार तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति हजारों करोड़ में है. देश विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु तिरुपति बालाजी दर्शन हेतु आते है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु भगवान को धन और सोने चांदी की भेंट देता है.
आज हम आपको बताते है एक ऐसे अनोखे क़र्ज़ के बारे में जो भगवान आज तक चुकाने की कोशिश कर रहे है.
तिरुमाला में स्थित है तिरुपति बालाजी का मंदिर. ये मंदिर हनुमान जी का नहीं है, जैसा की देश के बहुत से हिस्सों में हनुमान को बालाजी भी कहा जाता है. तिरुपति बालाजी का मंदिर भगवान विष्णु के वैंकटेश रूप का है. यह मंदिर देश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. देश के हर भाग से लाखों की संख्या में लोग इस मंदिर में हर साल दर्शन हेतु आते है.
आंकड़ों की माने तो तिरुपति बालाजी में हर साल सिर्फ मुंडन में कटे बालों को बेचने से ही 50 करोड़ के आसपास कमाई होती है. इस आंकड़े से आप अंदाज़ा लगा सकते है कि भक्त यहाँ जो चढ़ावा देते है उसकी बदौलत तिरुपति बालाजी का खजाना कितना होगा.लेकिन अगर ये कहा जाए कि हजारों करोड़ों के मालिक भगवन वैंकटेश गरीब है और सिर्फ गरीब ही नहीं कर्जे के नीचे दबे है तो आप क्या कहेंगे? आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में आये श्रद्धालु चढ़ावे के माध्यम से भगवान पर चढ़ा कर्ज उतारने की कोशिश करते है.
एक कथा के अनुसार जब भगवान् विष्णु विश्राम कर रहे थे तो ऋषि भृगु ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उन्हें ज़ोर से लात मार कर उठाया. भृगु ने सोचा की विष्णु क्रुद्ध होंगे लेकिन इसके विपरीत भगवान ने ऋषि के चरण स्पर्श करते हुए अत्यंत विनम्र भाव से पुछा कि कहीं ऋषि को चोट तो नहीं लगी. ये सुनकर ऋषि भृगु अत्यंत प्रसन्न हुए और भगवन विष्णु को यज्ञ में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया.
ऋषि द्वारा लात मारे जाने पर भी विष्णु के कुछ ना कहने पर लक्ष्मी क्रुद्ध हुई और भगवन विष्णु से नाराज़ होकर चली गयी. धरती पर जाकर लक्ष्मी ने पद्मावती के रूप में जन्म लिया. भगवान विष्णु भी धरती पर लक्ष्मी से विवाह करने के लिए वैंकटेश रूप लेकर आये. लक्ष्मी ने विवाह के लिए हाँ कर दी परन्तु वैंकटेश के पास विवाह के लिए धन नहीं था. भगवान् ने धन के देवता कुबेर से अपने विवाह हेतु क़र्ज़ मांगा. क़र्ज़ देने पर कुबेर ने कहा कि कलयुग की समाप्ति तक भगवान् को इस धन का मूल और सूद चुकाते रहना होगा.
तिरुपति बालाजी में भगवान वैंकटेश पर चढ़े क़र्ज़ को उतारने के लिए ही यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी अपनी क्षमता के अनुसार धन और सोने चांदी की भेंट चढ़ाते है.
भगवान का क़र्ज़ अब तक उतरा या नहीं ये तो पता नहीं पर हाँ इस कहानी की वजह से आज तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर धार्मिक स्थलों में से एक है और इस मंदिर की धन संपदा आज भी बढती ही जा रही है.
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