बाबा को एक बार नाम और पहचान तब मिली थी जब सिखों के साथ डेरा सच्चा सौदा का विवाद सामने आया था.
इसके बाद एक बार और भी बाबा को खबरों में पाया गया जब बाबा को फिल्मी बाबा बोला गया था.
बाबा ने अपने धन से फिल्म बनाई जिसे ‘मेसेंजर ऑफ़ गॉड’ का नाम दिया गया था. फिल्म रिलीज हुई और करोड़ों का व्यापार कर गयी. सभी ने बाबा को फिल्म वाला बाबा बोला.
लोगों ने बाबा का काफी मजाक भी बनाया लेकिन बाबा के जीवन की कुछ बातें ऐसी रह गयी जिन्हें मीडिया और आम लोग नहीं जान पाये हैं. सभी ने इस तरह का रिएक्शन दिया जैसे कोई बाबा फिल्म नहीं बना सकता है. यहएक गलत काम है जो बाबा ने कर दिया हो.
आइये पढ़ते हैं 5 बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए फ़िल्मी बाबा राम रहीम सिंह के बारें में-
समाज के लिए कलंक रहीं वेश्याओं को बाबा ने अपनी बेटी बनाया और पहले इनका ईलाज कराया. बाद में अपने भक्तों से आगे आकर, उनको अपनी मर्जी से इन वेश्याओं के साथ विवाह करने को बोला. इस तरह के जोड़ों कोसमाज नहीं अपना रहा था तो खुद के खर्चे पर बाबा ने इनके लिए अलग सोसायटी का भी निर्माण कर दिया है.
एक समय था जब भारतीय सेना खून के लिए दर-दर भटकती थी और अपने सैनिकों के लिए तब भी सेना को खून नहीं मिलता था. जो सैनिक सीमा पर घायल होते हैं उनके लिए भी खून ना मिलता देख बाबा ने अपने आश्रम मेंरक्तदान शिविर लगवाये और आज सेना के पास खून देने वाले इतने भक्त होते हैं कि सेना को किसी और के पास हाथ नहीं फैलाना पड़ता है.
बाबा राम रहीम सिंह के पिता राजस्थान के गुरुसर गाँव के जमींदार थे. बाबा अगर संत ना बनते तो वह गाँव पर राज कर रहे होते लेकिन बाबा संत बने और अपनी साड़ी जमीन समाज के लिए दान दे दी है. यहाँ पर स्कूल औरअस्पताल जैसी चीजें चल रही हैं.
हरियाणा के सिरसा में चल रहे आश्रम में एक जगह ऐसी भी है जहाँ पर ऐसी बच्चियां पल रही हैं जिन्हें पैदा होने के बाद सड़क या कचड़े के डिब्बे में कोई फ़ेंक गया था. बाबा ने सबको अपने बेटी बनाया और आज कुछ बच्चियांतो नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा से देश का नाम रोशन कर रही हैं.
यह बात तब आँखों से देखी जाती है तो यकीन नहीं होता है क्योकि बाबा सुबह सवेरे ही उठकर अपने लिए खेती करना शुरू कर देते हैं. अपने लिए सब्जियां उगाते हैं बाबद में उसी को खुद के लिए इस्तेमाल भी करते हैं. बेशकदेखने में बाबा फाइव स्टार वाले लगते हैं लेकिन निजी जिन्दगी में बाबा एक दम सामान्य से इन्सान की तरह रहते हैं.
इसके साथ-साथ डेरा सच्चा सौदा में समाज की भलाई के लिए कुछ 110 से ज्यादा कम किये जा रहे हैं. सुनामी के समय इनके भक्तों ने जन पर खेल कर हजारों लोगों को बचाया था और गुजरात भूकंप के समय भी इनकेसामाजिक कार्य को किसी ने याद नहीं रखा. आज मीडिया बाबा को फिल्मी तो बोलती हैं लेकिन इनके सामाजिक कार्य को कोई नहीं दिखाता है. कोर्ट के मामले अभी कोर्ट में हैं तब तक किसी को मुजरिम करार नहीं दिया जासकता है.
सिक्के के दो पहलू होते हैं और उन दोनों पहलू को हमें जरूर देखना चाहिए. इसी प्रकार बाबा का भी यह एक पहलू है जो अब तक लोगों के सामने नहीं आया है.
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